CJI पर हमला? मां बोलीं- संविधान सिखाता है जीओ और जीने दो!

शकील सैफी
शकील सैफी

भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई पर सुप्रीम कोर्ट में एक वकील द्वारा हमला करने की कोशिश की गई। इस संवेदनशील घटना पर चीफ़ जस्टिस की मां कमल ताई गवई ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए संविधान की मूल आत्मा की याद दिलाई।

क्या हुआ कोर्ट में?

सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही के दौरान एक वकील ने CJI गवई पर जूता फेंकने की कोशिश की। कोर्टरूम में कुछ देर के लिए अफरा-तफरी मच गई।
हालांकि CJI गवई ने पूरे संयम के साथ कार्यवाही जारी रखी, जबकि सुरक्षा कर्मियों ने वकील को बाहर निकाल दिया।

“सनातन का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान” – हमलावर वकील की चिल्लाहट

घटना के बाद बाहर निकाले जाने के दौरान वकील ने नारेबाज़ी करते हुए कहा — “सनातन का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान”
इस बयान के बाद मामले ने धार्मिक और संवैधानिक स्वरूप ग्रहण कर लिया।

कमल ताई गवई की भावुक प्रतिक्रिया

CJI गवई की मां कमल ताई गवई ने कहा:

“डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने जो संविधान हमें दिया, उसका मूल भाव है ‘जीओ और जीने दो’। कोई भी क़ानून से ऊपर नहीं है। मतभेद हों, लेकिन हल शांति से निकाले जाने चाहिए, हिंसा या अराजकता से नहीं।”

उन्होंने यह भी जोड़ा कि “संविधान ने जनता को केंद्र में रखा है, ना कि सनक को।”

CJI गवई का धैर्यपूर्ण रवैया

घटना के दौरान CJI गवई पूरी तरह शांत रहे और कार्यवाही बिना रुके जारी रखी। वकील अनस तनवीर, जो उस समय कोर्ट में मौजूद थे, ने कहा कि “CJI गवई की गरिमा और संतुलन देखने लायक था।”

ये सिर्फ हमला नहीं, न्यायपालिका पर सवाल?

इस घटना ने सिर्फ एक व्यक्ति विशेष पर नहीं, बल्कि भारत की न्याय व्यवस्था, कानून के शासन और लोकतांत्रिक परिपक्वता पर भी सवाल खड़े किए हैं।

संविधान का अपमान सब पर भारी पड़ सकता है

भारत में हर व्यक्ति को अपने विचार रखने और असहमति जताने का अधिकार है, लेकिन यह अधिकार क़ानून के दायरे में होना चाहिए
CJI गवई पर हमले की कोशिश न केवल निंदनीय है, बल्कि लोकतंत्र के लिए एक चेतावनी भी है।

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