
कई बार जिंदगी हमें एक कंफर्टेबल जगह दे देती है—एक “जीती हुई मथुरा”, जहाँ सब कुछ ठीक चल रहा होता है।
लेकिन अगर लक्ष्य कुछ बड़ा है, जैसे Civil Services में जाना, IAS बनना, या समाज में बदलाव लाना…तो फिर उसी कंफर्ट ज़ोन को त्यागना पड़ता है।
इसी विचार को एक लाइन में शानदार तरीके से कहा गया है—
“बाबू भाई, अपनी द्वारिका बनानी हो तो जीती हुई मथुरा त्यागनी पड़ती है।”
यानी अगर सपना बड़ा है, तो कीमत भी बड़ी होगी।
Civil Services: सपना बड़ा, मेहनत उससे भी बड़ी
Civil Services सिर्फ एक एग्ज़ाम नहीं, बल्कि एक लंबी साधना है — रातों की नींद, दोस्तों की पार्टी, सोशल मीडिया, आराम और कभी-कभी रिश्तों की डिमांड। इन सब चीजों का त्याग करना पड़ता है।
क्योंकि UPSC सिर्फ ज्ञान नहीं देखता— यह आपकी Consistency, Discipline और Sacrifice को भी परखता है।
UPSC की ‘द्वारिका’ — क्यों खास है?
द्वारिका सिर्फ एक जगह नहीं, एक उपलब्धि है। उसी तरह UPSC की सफलता भी सिर्फ एक जॉब नहीं, बल्कि—
- Responsibility
- Respect
- Impact
- Nation Service
का प्रतीक है। जो अपने सपने को इतना बड़ा मानता है, उसे आधे-अधूरे प्रयास नहीं करने चाहिए।
कंफर्ट जोन से बाहर निकले बिना IAS नहीं बनता
बहुत लोग तैयारी शुरू तो करते हैं, लेकिन मथुरा छोड़ने को तैयार नहीं होते— “थोड़ा Netflix भी जरूरी है, दो घंटे पढ़ लिया, काफी है, आज मन नहीं है…यही मन की आवाज़ असफलता की वजह बनती है।

हर topper की कहानी में एक लाइन कॉमन मिलती है— “मैंने त्याग किया।”
अगर सपना Civil Services है, तो पूरा करना ही होगा
सपना देखने से कोई IAS नहीं बनता, लेकिन उसे पूरा करने की stubbornness बहुत लोगों को वहां तक ले जाती है।
आज से ही खुद से वादा कीजिए— distractions को छोड़ूंगा, daily study routine फॉलो करूंगा, मेहनत की कीमत चुकाऊंगा और अपनी ‘द्वारिका’ हासिल करूंगा।
क्योंकि UPSC एक सपना नहीं, एक commitment है।
त्याग की आग से ही सफलता निकलती है
अगर आप सच में IAS बनना चाहते हैं, तो याद रखिए— “द्वारिका वहीं बनती है जहाँ मथुरा छोड़ने की हिम्मत हो।”
जिस दिन आपने यह समझ लिया, आपकी UPSC यात्रा आधी सफल हो चुकी है।
