
लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान ने राहुल गांधी द्वारा चुनाव आयोग पर लगाए गए फर्जी वोटिंग और डबल वोटिंग के आरोपों पर करारा जवाब दिया है।
उन्होंने राहुल गांधी की प्रेस कॉन्फ्रेंस को सीधे तौर पर एक “राजनीतिक ड्रामा” बताते हुए कहा:
“राहुल जी ने कर्नाटक पर आरोप लगाए, जहां खुद उनकी पार्टी की सरकार है।”
“सत्यापित करने की बात आई, तो पीछे हट गए!”
चिराग ने राहुल गांधी के उस रवैये पर सवाल उठाया जिसमें चुनाव आयोग द्वारा सबूत देने या शपथपत्र दायर करने की मांग के बाद राहुल ने इनकार कर दिया।
“जब आप इतने भरोसे से बोल रहे हो तो शिकायत कीजिए, सबूत दीजिए। प्रेस कॉन्फ्रेंस में कैमरे के सामने बोलना आसान है,
पर आयोग को जाकर लिखित में देना उतना आसान नहीं लगता।”
कांग्रेस का एजेंडा: संस्थाओं को कमजोर करना?
चिराग पासवान ने आरोप लगाया कि यह सब एक “सोची-समझी रणनीति” है, जिससे संवैधानिक संस्थाओं की साख को नुकसान पहुंचाया जा सके।
“हकीकत ये है कि ये लोग संविधानिक संस्थाओं के अस्तित्व को ही खत्म करना चाहते हैं।”
उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि अगर FIR कर्नाटक में होती है, तो फिर कांग्रेस को उससे भी तकलीफ होगी।
“FIR करवाओगे तो फिर कहोगे कि सरकार बदले की भावना से काम कर रही है।”
“राहुल जी प्रेस में प्रेसर बना रहे हैं, पर EC में फॉर्म भरने से डर रहे हैं!”
चिराग बोले – “अगर आरोप सही हैं, तो आयोग जाओ, सिर्फ मीडिया में मत उछालो!”
क्या राहुल गांधी का अगला बयान होगा – “हम सबूत देंगे, लेकिन अपने हिसाब से डेट और जगह चुनेंगे?”
लोकतंत्र में सवाल पूछना ठीक है, लेकिन जवाब से भागना – ये कौन सी रणनीति है भाई?
चिराग पासवान के इस बयान से साफ है कि विपक्षी नेताओं के संवैधानिक संस्थाओं पर हमलों को NDA नेता अब खुले मंच से चुनौती दे रहे हैं।
चुनाव आयोग पर सवाल उठाने से पहले “प्रूफ ऑन पेपर” की मांग राजनीति की नई ज़रूरत बनती जा रही है।
अब देखना ये है कि राहुल गांधी इस पर क्या अगला कदम उठाते हैं – अधिक सबूत लाते हैं या बयान और तीखा करते हैं?
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