अमेरिका ने टैरिफ़ का हथियार निकाला, चीन बोला – ये तो ट्रेड की तौहीन है!

सैफी हुसैन
सैफी हुसैन, ट्रेड एनालिस्ट

चीन ने अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ़ को “अनुचित और गैर-तर्कसंगत” बताया है।
बीजिंग के मुताबिक, अमेरिका अब व्यापार नहीं, ट्रेड वॉर खेल रहा है — और ये वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन की आत्मा पर सीधा हमला है।

चीन के भारत में राजदूत शू फेइहोंग बोले — “मुक्त व्यापार की बात करने वाले अमेरिका ने अब व्यापार को हथियार बना लिया है।”

चीन के राजदूत शू फेइहोंग का बयान — “अमेरिका कर रहा है ट्रेड टेररिज़्म!”

सोमवार को जापान पर चीन की जीत की 80वीं वर्षगांठ पर आयोजित कार्यक्रम में शू फेइहोंग ने कहा:

“अमेरिका सिर्फ़ टैरिफ़ नहीं लगा रहा, वह ग्लोबल इकॉनमी में ‘डॉलर डिप्लोमेसी के साथ दंड नीति’ चला रहा है।”

उन्होंने यह भी कहा कि चीन और भारत को इस मौके को आर्थिक सहयोग बढ़ाने के अवसर के रूप में देखना चाहिए।

यानी, अमेरिका अगर टैरिफ़ से मारे तो बीजिंग कह रहा है — “दिल्ली, आओ हम मिल के बजट बनाएं!”

अमेरिका की रणनीति: ‘Buy American, Tax The Rest’

चीन का आरोप है कि अमेरिका अब दुनिया से सस्ते सामान लेना नहीं चाहता, बल्कि महंगे टैक्स लगा कर अपने उत्पाद बेचने को मजबूर कर रहा है।

शू बोले:

“पहले अमेरिका ने WTO के नियम लिखवाए, अब वही पन्ने फाड़ कर बाज़ार में पेट्रोल छिड़क रहा है।”

भारत-चीन के लिए क्या संदेश?

“नई दिल्ली और बीजिंग को चाहिए कि अमेरिका के इस ‘आर्थिक अत्याचार’ का संयुक्त रूप से सामना करें।”
– शू फेइहोंग

चीन के मुताबिक, टैरिफ़ की मार से सिर्फ भारत नहीं, बल्कि वैश्विक दक्षिण (Global South) प्रभावित हो रहा है।

क्या अमेरिका का ये टैरिफ़ केवल चीन को घेरने की रणनीति है, या भारत भी Collateral Damage बन गया है?

क्या “Make in India” को बढ़ावा देने के नाम पर अमेरिका “Tax on India” चला रहा है?

  • चीन अमेरिका की ट्रेड नीति से नाख़ुश है। भारत को चीन का साथ चाहिए या अमेरिका का — यह भू-राजनीतिक परीक्षा की घड़ी है। अमेरिका का 50% टैरिफ़ पूरी दुनिया के लिए एक बड़ा इकोनॉमिक अलार्म है।

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