
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट्स में शामिल गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे की राइडिंग क्वालिटी अब सिर्फ अच्छा नहीं, बल्कि “स्विट्जरलैंड अप्रूव्ड” हो गई है। जी हां, दुनिया की मशहूर ETH यूनिवर्सिटी ज्यूरिख की तकनीक और उनके हाई-टेक उपकरणों ने बता दिया है – इस सड़क पर चलो, तो शरीर नहीं दिमाग भी आराम करता है।
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हाईटेक टेस्टिंग: जब इनोवा बनी साइंस लैब
यूपीडा ने इनोवा कार को अस्थायी प्रयोगशाला बना डाला — जिसमें लगाए गए 7 एक्सीलरोमीटर-बेस्ड सेंसर, S-मोशन डिटेक्टर, और डाटा कलेक्शन इक्विपमेंट।
अब ये सिर्फ गाड़ी नहीं, एक चलता-फिरता ‘राइड क्वालिटी डिटेक्टिव’ बन गई। सड़क पर झटका लगे, तो सेंसर बोले – “This bump is illegal!”
स्विट्जरलैंड की टेक्नोलॉजी, यूपी की सड़कें – नया इनफ्रास्ट्रक्चर एलायंस
ETH ज्यूरिख और RTDT लैबोरेटरी AG (जो ETH की ही स्पिन-ऑफ कंपनी है) ने साबित किया कि गोरखपुर एक्सप्रेसवे की चारों लेन अब इंटरनेशनल लेवल की बन चुकी हैं। अगला स्टेप? इस शानदार तकनीक को अब गंगा, बुंदेलखंड, आगरा-लखनऊ और पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पर भी अपनाना है।
एक्सप्रेसवे, लेकिन A.I. वर्जन
गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे अब सिर्फ एक सड़क नहीं, बल्कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से सजी स्मार्ट रोड है। झटका? ग़ायब। वाइब्रेशन? मिनिमल। और आराम? कुछ ऐसा कि गाड़ी चलाते वक्त नींद न आ जाए – ये भी एक नई चुनौती बन सकती है!
सड़क पर ‘स्विस बैंक’ वाला भरोसा?
यूपीडा का अगला लक्ष्य है — सभी यूपी एक्सप्रेसवे को “Swiss Precision” वाला टच देना। अब सड़कें सिर्फ गंतव्य तक नहीं, बल्कि “सुखद अनुभव” बनकर काम करेंगी। कह सकते हैं: “पहले चलते थे सड़क पर, अब सड़क हमारे साथ चलती है!”
सड़कें भी अब ‘ब्रांडेड’ होंगी
अब सवाल ये नहीं है कि गाड़ी कौन सी है, सवाल ये है – सड़क किस लेवल की है?
गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे ने दिखा दिया है कि इंडिया की सड़कें भी “इंटरनेशनल स्टैंडर्ड” पर दौड़ सकती हैं – बस ज़रूरत है थोड़ी टेक्नोलॉजी, थोड़ा विज़न और थोड़ा सेंस ऑफ ह्यूमर!
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