सुबह के पाँच बजे जब अलार्म नहीं बजा, तब भी दिल्ली के कालकाजी और बटला हाउस में बुलडोज़रों की गड़गड़ाहट ने कई लोगों को नींद से उठा दिया। लेकिन ये गड़गड़ाहट सिर्फ़ मशीनों की नहीं थी — इसके पीछे राजनीति की आवाज़ें और आरोपों की गरज भी शामिल थी।
“मुस्लिम देश दें ज़मीन फ़लस्तीन को” – हकाबी का बम!
1200 झुग्गियां गईं… और बयान आएं झड़ी की तरह
दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश पर भूमिहीन कैंप की लगभग 1200 झुग्गियों को नेस्तनाबूद कर दिया गया।
सुरक्षा बल तैनात, बुलडोज़र अलर्ट और नेताओं के बयान ऑन-फायर!
इसी बीच दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री (सत्याग्रहिक तर्ज़ पर) आतिशी मैदान में उतरीं और बोलीं:
“तीन दिन पहले CM रेखा गुप्ता ने कहा था – एक भी झुग्गी नहीं तोड़ी जाएगी।
अब 5 बजे बुलडोज़र चल रहा है, झुग्गियां गिराई जा रही हैं, और CM रेखा कह रही हैं – हमने नहीं किया, कोर्ट ने किया।”
वाह! कोर्ट का आदेश तो जैसे सबके लिए ‘Uno Reverse’ कार्ड बन गया है!
आतिशी का सवाल – कोर्ट का आदेश लाया कौन?
आतिशी ने कहा कि कोर्ट का आदेश खुद नहीं आया, भाजपा की DDA और भाजपा की दिल्ली सरकार उसे प्रिंट आउट निकाल कर लाई, कोर्ट में झुग्गीवालों का विरोध किया और फिर बोली – “हमें क्या, कोर्ट ने कहा!”
“ये गरीब विरोधी नहीं, झुग्गी विरोधी नीति है,” आतिशी ने कहा।
“कहीं बिजली गई तो गरीब इन्वर्टर कहां से लाएगा? घर गया तो चार्जिंग पॉइंट भी गया!”
क्या दिल्ली अब “नो झुग्गी जोन” बनने जा रही है?
राजनीति का सवाल अब ‘विकास बनाम विस्थापन’ बन चुका है।
आतिशी का सवाल सीधा था:
“क्या भाजपा चाहती है कि गरीब दिल्ली छोड़कर यूपी-बिहार लौट जाएं?
बयानबाज़ी की टाइमलाइन:
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5:00 AM – बुलडोज़र गरजता है
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6:30 AM – झुग्गियां उड़ती हैं
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8:00 AM – आतिशी प्रेस कॉन्फ्रेंस करती हैं
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10:00 AM – DDA कहती है: “हम कोर्ट का पालन कर रहे हैं”
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11:00 AM – कोर्ट: “हमने आदेश दिया था, लेकिन… मतलब ये तो नहीं कि…”
दिल्ली में विकास का मतलब किसके लिए है?
जहाँ एक तरफ़ शहर के पोस्टर और फ्लायओवर नई दिल्ली का चेहरा बनते जा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ़ झुग्गीवालों की ज़िंदगी हर बुलेटिन में बिखरती नज़र आती है।
आतिशी का बयान सिर्फ़ सियासत नहीं, सिस्टम पर कटाक्ष भी है।
और शायद अगली बार जब कोई CM कहे “एक भी झुग्गी नहीं टूटेगी”, तो जनता अलार्म सेट कर ले — सुबह 5 बजे बुलडोज़र का अलर्ट आ सकता है!