
बिहार की राजनीति एक बार फिर चर्चा में है, और इस बार मुद्दा कोई घोटाला, हिंसा या जेल यात्रा नहीं, बल्कि एक EPIC कार्ड है — वो भी दो-दो!
CPI(ML) लिबरेशन के आरा से सांसद सुदामा प्रसाद की पत्नी के पास दो वोटर ID मिलने की खबर सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर मीम्स और विरोध दोनों का तांडव चल रहा है।
जनता पूछ रही है:
“जब एक वोट से सरकार बनती है, फिर दो वोट से क्या बनाना चाह रहे हो, माननीय जी?”
SIR विरोध में खड़े, लेकिन अपने घर में ‘डुप्लीकेसी’?
सुदामा प्रसाद की पार्टी खुद SIR (Society for Inclusive Representation) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता है।
वहीं जनता अब सवाल उठा रही है — “जो अपने घर की EPIC नहीं संभाल पाए, वो देश की इमेज कैसे बचाएंगे?”
ऐसा लग रहा है जैसे पार्टी का नारा बदल गया हो — “हर हाथ में EPIC, हर जेब में डबल!”
Voter ID या PAN कार्ड समझ रखा है क्या?
सूत्रों के मुताबिक सांसद की पत्नी के पास दो अलग-अलग मतदाता पहचान पत्र हैं, जिन पर भिन्न पते और संभवतः अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्र दर्ज हैं।
अगर आरोप सही साबित होते हैं, तो यह न केवल भारतीय चुनाव अधिनियम का उल्लंघन है, बल्कि एक संवैधानिक मज़ाक भी।
EPIC कार्ड और EPIC hypocrisy
अब ये मत सोचिए कि ये कोई तकनीकी भूल है। भूल अक्सर आम आदमी से होती है, सांसदों के घरों में इसे “फॉर्मेलिटी” कहते हैं।
वोटर लिस्ट में डुप्लीकेसी, लेकिन भाषण में पारदर्शिता की रट — वाह रे लोकतंत्र! तेरे कितने EPIC रंग!
क्या होगा अब? जांच, जुर्माना या फिर बयानबाज़ी?
चुनाव आयोग की नजर इस पर गई है या नहीं, यह साफ नहीं है, लेकिन जनता की नजर में यह मुद्दा ‘ट्रेंडिंग’ है।
माना जा रहा है कि अगर जांच हुई तो या तो “तकनीकी गड़बड़ी” का बहाना चलेगा या फिर “राजनीतिक साजिश” का पांसा फेंका जाएगा।
“अगर पत्नी को दो EPIC मिल सकते हैं, तो शायद सांसद को भी दो बार सांसद बनने की प्रैक्टिस चाहिए।”
EPIC कार्ड हो या नीति, एक ही काफी है
इस पूरे विवाद से एक बात फिर साफ हो गई है — राजनीति में पारदर्शिता सिर्फ तब तक होती है, जब तक कैमरे ON न हों।
सांसद जी को अब दोबारा से नहीं, एकबारगी जवाब देना होगा — जनता को नहीं, लोकतंत्र को।