बिहार में वोटर लिस्ट का गेम, शाह-तेजस्वी का नेम, और विपक्ष का क्राइम फ्रेम

गौरव त्रिपाठी
गौरव त्रिपाठी

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का बिगुल बज चुका है और सियासी पारा पटना से पर्सा तक चढ़ चुका है। चुनाव आयोग ने 1 अगस्त को ड्राफ्ट मतदाता सूची जारी कर दी, लेकिन यह सूची सिर्फ मतदाता नहीं गिन रही, ये विवाद, विरोध और वोटों की वैधता को भी साथ लेकर आई है।

SIR लिस्ट बनी ‘सियासी इमोशनल रिविजन’, सुप्रीम कोर्ट भी चौंका

Special Intensive Revision (SIR) के तहत तैयार की गई मतदाता सूची पर सुप्रीम कोर्ट ने खुद संज्ञान ले लिया। कोर्ट ने पूछा कि “भाई, जिनके नाम हटाए हैं, उनका हिसाब-किताब कहाँ है?”
वहीं विपक्षी नेताओं ने इस लिस्ट को “चुनावी गोलमाल” करार दिया।

कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और INDIA ब्लॉक के नेता संसद में गरज उठे – “SIR हटाओ, लोकतंत्र बचाओ!”

तेजस्वी यादव को 2 वोटर ID का नोटिस, जवाब अभी ‘लो नेटवर्क एरिया’ में

चुनाव आयोग ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को दो वोटर ID रखने के आरोप में नोटिस भेजा, मगर अभी तक कोई जवाब नहीं मिला।
क्या तेजस्वी का रुख “चुनाव आयोग का मौन व्रत है, तो मेरा भी!” वाला है?

अनंत सिंह की वापसी: मोकामा में फिर चलेगा ‘बाहुबली बल्बा’

पूर्व विधायक अनंत सिंह ने ऐलान किया कि वे JDU के टिकट पर मोकामा से चुनाव लड़ेंगे। और तेजस्वी यादव पर हमला बोलते हुए बोले, “वो नेता नहीं, ‘नवजात नायक’ हैं।”
अब मोकामा की सियासत एक बार फिर गोलियों की गूंज और घोषणाओं की धुन के बीच होगी।

तेजप्रताप का ‘5 पार्टी गठबंधन’ – नया जोश या पुरानी जुगलबंदी?

पूर्व मंत्री तेज प्रताप यादव ने एक नया चुनावी गठबंधन घोषित किया, जिसमें 5 पार्टियां शामिल हैं:
VVIP, BJM, PJP, WAP और SKVP।
तेज प्रताप बोले – “इस बार महुआ से मैदान मारेंगे!”

लेकिन जनता सोच रही है – “क्या ये गठबंधन है या WhatsApp ग्रुप?”

पुनौराधाम में शाह की सियासी आहुति, धार्मिक विकास या चुनावी ट्रेलर?

गृहमंत्री अमित शाह 8 अगस्त को सीतामढ़ी के पुनौराधाम में 120 करोड़ की विकास योजना का शिलान्यास करेंगे।
यह कार्यक्रम पहले 7 अगस्त को पटना में होना था, लेकिन “प्लान बदला, राजनीति का स्वैग बना!”
BJP के अंदरूनी सूत्र मानते हैं – “शाह का आना = मिशन बिहार 2025 एक्टिवेशन”

ट्रांसफर ऑफर – CM नीतीश का शांति पाठ

सीएम नीतीश कुमार ने शिक्षा विभाग को निर्देश दिए हैं कि अंतर जिला ट्रांसफर में शिक्षकों को 3 जिले चुनने का विकल्प मिले।
विरोधियों ने कहा – “चुनाव से पहले ट्रांसफर नहीं, ट्रस्ट बनाना है।”

SIR का विरोध, पर शिकायत ZERO – ये कैसी रणनीति?

1 अगस्त को लिस्ट जारी हुई, 7 दिन हो गए, मगर किसी भी पार्टी ने आधिकारिक शिकायत नहीं दी।
तो सवाल – “शोर ज्यादा, सुबूत कहां?”
क्या विपक्ष केवल TV स्टूडियो में फाइट कर रहा है?

चुनाव की शुरुआत ही वोटर लिस्ट, कोर्ट केस और गठबंधनों की गुत्थियों से हुई है। हर दल मतदाता आधार को लेकर सजग है, तो वहीं आम जनता समझ रही है कि इस बार सिर्फ वादे नहीं, वोटर डेटा भी देखना पड़ेगा। यह सियासत का नया दौर है, जहाँ साइलेंट लिस्टिंग से लाउड नतीजे निकल सकते हैं। 

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