चिराग की सीमा सिंह की एंट्री फ्लॉप — नामांकन रद्द, मैदान से आउट!

अजमल शाह
अजमल शाह

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की चुनावी पिच पर अभी ठीक से गेंद फेंकी भी नहीं गई थी कि एलजेपी-रामविलास (LJP-R) की प्रत्याशी सीमा सिंह ‘हिट विकेट’ हो गईं। नामांकन की स्क्रूटनी में चुनाव आयोग ने उनके दस्तावेज़ों में खामियां पाईं और पर्चा सीधा रद्द कर दिया।

चुनाव आयोग ने साफ कहा — “डॉक्युमेंट्स क्लियर नहीं, तो बैटिंग नहीं।”

एलजेपी-आर को लगा तगड़ा झटका

एलजेपी (रामविलास) को NDA में 29 सीटें मिली थीं, लेकिन अब मढ़ौरा में नामांकन रद्द होने के बाद 28 पर ही संतोष करना होगा।
सीमा सिंह पहली बार राजनीति में उतरी थीं, और डेब्यू में ही बाहर हो गईं।

भोजपुरी की डांसिंग क्वीन से चुनावी मैदान की रानी बनने का सपना टूटा

सीमा सिंह को आप भोजपुरी इंडस्ट्री की “सनी लियोनी” कह सकते हैं। उनका हिट गाना ‘मिसिर जी तू ता बाड़ा ठंडा’ आज भी लोगों की जुबां पर है। लेकिन चुनावी पिच पर आते ही सियासी तापमान इतना गरम निकला कि कागज़ों की गलती ने कूल डांसर को बाहर कर दिया।

राजनीति में यह उनका पहला कदम था, और किस्मत ने पहला ही गेम “Game Over” कर दिया।

अब मैदान में कौन-कौन?

अब जब सीमा सिंह का पर्चा रद्द हो गया है, मढ़ौरा सीट पर मुकाबला सीधे महागठबंधन और जन सुराज के बीच सिमट गया है। NDA इस सीट पर ‘नो शो’ हो गया है।
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यह नामांकन रद्द महागठबंधन के लिए बूस्ट और NDA के लिए झटका है।

सियासी सस्पेंस और भोजपुरिया मसाला

अगर यह किसी फिल्म की स्क्रिप्ट होती, तो सीमा सिंह के एंट्री सीन के साथ तेज़ बैकग्राउंड म्यूज़िक होता, कैमरा ऊपर से नीचे आता और स्क्रीन पर लिखा होता:
“COMING SOON — MLA SEEMA SINGH”

लेकिन रियल लाइफ में रिटर्निंग ऑफिसर ने वो स्क्रिप्ट सीधा काट दी।

चिराग की राह मुश्किल, गठबंधन का गणित और उलझा

सीमा सिंह का पर्चा रद्द होने के बाद एनडीए का सियासी गणित थोड़ा गड़बड़ा गया है। चिराग पासवान को मिली 29 सीटों में से एक अब तकनीकी रूप से ‘वॉकओवर’ हो चुकी है।

इसका फायदा महागठबंधन या जन सुराज को मिल सकता है। राजनीतिक तौर पर यह घटना एलजेपी-आर के लिए branding blunder जैसी है — जहां स्टार पावर से ज़्यादा डॉक्यूमेंट पावर ज़रूरी हो जाता है।

चुनाव का मैदान, कोई शो नहीं — सब स्क्रूटनी पर टिका

चुनाव मैदान सिर्फ़ प्रचार, पोस्टर और स्टारडम से नहीं जीतता, वहां कागज़ से लेकर काबिलियत तक सबका टेस्ट होता है।
सीमा सिंह ने पॉलिटिक्स में पहला कदम रखा, लेकिन सिस्टम ने उन्हें पहला सबक भी सिखा दिया — “राजनीति में एक सिग्नेचर गलत, और पूरा गेम बदल जाता है।”

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