नाम लिस्ट में, वोट मिस! बिहार के बूथ पर पर्ची पॉलिटिक्स का ड्रामा

साक्षी चतुर्वेदी
साक्षी चतुर्वेदी

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण में आज पूरे राज्य में मतदान जारी है। जहाँ एक तरफ पोलिंग बूथों के बाहर लंबी लाइनें दिख रही हैं, वहीं कुछ मतदाता निराश होकर घर लौट रहे हैं। पटना की श्रेया मेहता और अनुपमा शर्मा का गुस्सा इस वक्त सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा है। दोनों का कहना है कि नाम मतदाता सूची में होने के बावजूद उन्हें वोट डालने नहीं दिया गया!

 “नाम लिस्ट में 17 नंबर पर, फिर भी वोट नहीं डालने दिया”

श्रेया मेहता बताती हैं — “BLO ने पर्ची नहीं दी, कहा ऑनलाइन निकाल लो। हमने वोटर ID दिखाई, नाम लिस्ट में 17वें नंबर पर था। सुबह 6:30 से लाइन में लगे थे, अब वोट डाले बिना लौटना पड़ रहा है।”

इसी तरह अनुपमा शर्मा ने भी दावा किया — “नाम लिस्ट में है, वोटर कार्ड है, पर बोले कि पर्ची नहीं है तो वोट नहीं मिलेगा। पहली बार ऐसा देख रहे हैं।”

बूथ के बाहर मौजूद लोगों ने भी माना कि सिस्टम की गड़बड़ी से मतदाता परेशान हैं। सवाल उठता है — “क्या वोट डालने से पहले अब पर्ची की पॉलिटिक्स भी जरूरी है?”

मतदान के लिए जरूरी दस्तावेज़: सिर्फ वोटर ID ही नहीं!

चुनाव आयोग (ECI) ने साफ किया है कि वोट डालने के लिए सिर्फ वोटर ID ही नहीं, बल्कि 12 अन्य पहचान पत्र भी मान्य हैं। अगर आपके पास मतदाता पर्ची नहीं है, तो भी वोट डाल सकते हैं — बशर्ते आपका नाम मतदाता सूची में हो।

यह रहे 12 मान्य दस्तावेज़:

  1. वोटर ID कार्ड
  2. आधार कार्ड
  3. मनरेगा जॉब कार्ड
  4. बैंक या डाकघर पासबुक
  5. स्वास्थ्य बीमा स्मार्ट कार्ड
  6. ड्राइविंग लाइसेंस
  7. पैन कार्ड
  8. NPR स्मार्ट कार्ड
  9. भारतीय पासपोर्ट
  10. फोटोयुक्त पेंशन डॉक्यूमेंट
  11. सरकारी कर्मचारियों का फोटोयुक्त सेवा ID
  12. दिव्यांगता ID कार्ड (Social Justice Ministry द्वारा जारी)

मतलब साफ है — अगर वोटर लिस्ट में नाम है, तो पहचान किसी भी वैध ID से दी जा सकती है।

“पर्ची नहीं तो प्रॉक्सी नहीं!”

बिहार के बूथों पर आज सुबह से एक नया डायलॉग सुनाई दे रहा है —  “पर्ची नहीं तो प्रॉक्सी नहीं!”

वोटर बोले – “भैया, हम तो पर्ची के लिए नहीं, परिवर्तन के लिए आए थे।”

ECI का नियम तो साफ है, पर ज़मीनी हकीकत अलग

ECI के मुताबिक हर बूथ पर BLO और मतदान अधिकारी को मतदाता ID या किसी मान्य दस्तावेज़ के आधार पर वोट डालने देना चाहिए।
लेकिन बिहार में आज कई जगह “पर्ची नहीं – तो एंट्री नहीं” का नियम चलता दिखा।

यह सिस्टम की गड़बड़ी है या लोकल अफसरों की गलती, यह जांच के बाद ही साफ होगा। पर जनता पूछ रही है — “क्या अब वोट डालने से पहले प्रिंटर भी साथ लाना पड़ेगा?”

अब आगे क्या?

पहले चरण की वोटिंग के बाद आयोग को कई शिकायतें मिल रही हैं। संभावना है कि ECI जल्द ही इस पर स्पष्टीकरण और गाइडलाइन रिमाइंडर जारी करे। फिलहाल, जिनका वोट मिस हुआ — वो अब बस यही कह रहे हैं:

“डेमोक्रेसी में वोट हमारा हक है, पर्ची नहीं रोक सकती!”

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