नई पार्टियों की एंट्री से सियासी खिचड़ी तैयार, कौन बनेगा बिहारी बाहुबली?

आलोक सिंह
आलोक सिंह

बिहार में चुनाव से पहले ही हलचल शुरू हो गई है। पटना से लेकर पालीगंज तक सियासत के मैदान में तलवारें नहीं, टिकट चमकाए जा रहे हैं। इस बार मुकाबला सिर्फ पुरानी पार्टियों का नहीं है — 2025 में नई पार्टियों की बारात पूरे ठाठ से आई है, और दूल्हा कौन बनेगा ये जनता को तय करना है!

2020 की कहानी: जब पार्टियों की लाइन लगी थी

2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में कुल 3733 उम्मीदवार मैदान में थे। 212 राजनीतिक दल, 1299 निर्दलीय

और फिर भी, निर्दलीयों में से सिर्फ 1 सीट जीत पाया। बाकियों की जमानत जब्त हुई और सपने भी। भाजपा को 82 लाख वोट, RJD को 97 लाख, और JDU 64 लाख के साथ तीसरे पायदान पर। फिर भी, NDA ने बाज़ी मार ली और महागठबंधन को मिला सिर्फ 12,000 का झटका!

2025 में कौन-कौन नया खिलाड़ी मैदान में?

जनसुराज पार्टी – प्रशांत किशोर की सियासी सर्जरी

“सिस्टम नहीं बदल सकता, तो पार्टी ही बना लेते हैं!” प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी इस बार 243 सीटों पर फुल पिच पर खेलेगी। चुनावी मैप पर इनका जलवा दिखेगा या डेटा फुस्स निकलेगा, ये वक्त बताएगा।

तेज प्रताप यादव की जनशक्ति जनता दल

तेज प्रताप ने RJD से ‘स्वतंत्रता’ लेकर अपनी खुद की पार्टी बना ली है। अब वो अकेले चंद्रमा से बात नहीं करेंगे, वोटरों से करेंगे।

इंडियन इंकलाब पार्टी – 243 सीटों पर 243 सपनों का दावा

आईपी गुप्ता की पार्टी का नारा है – “हर सीट पर उम्मीद, हर गली में इंकलाब!” 243 उम्मीदवारों का सीधा मतलब है – हर पोलिंग बूथ पर पार्टी की सेल्फी!

RCP सिंह की नई पार्टी

नीतीश कुमार के पुराने भरोसेमंद साथी अब उनके विरोधी! “अगर नीतीश हैं तो मैं भी हूँ,” RCP सिंह ने मैदान में अपनी गोटी फिट कर दी है।

आज़ाद समाज पार्टी – चंद्रशेखर की पहली बिहार यात्रा

भीम आर्मी से निकली ASP अब बिहार की सियासत में कदम रख चुकी है। क्या दलित वोट बैंक में सेंध लगेगी या बस पोस्टर ही लगेंगे?

क्या इस बार भी 3000+ उम्मीदवार और 1 ही निर्दलीय विधायक?

देखना दिलचस्प होगा कि 2020 जैसी स्थिति दोहराई जाती है या जनता “No More Timepass Parties” मोड में आ जाती है।
इस बार अगर “पप्पू यादव”, “मौसमी नेता” और “वार्ड से वर्ल्ड तक” वाले उम्मीदवार फिर आ जाएं, तो EVM भी कहेगी – “मेरी भी कोई लिमिट है!”

चुनावी समीकरण vs वोटर का मूड

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, इस बार समीकरण नहीं, “नैरेटिव” और “नेटवर्क” हावी रहेगा।

सोशल मीडिया पर वायरल हुआ नेता मैदान में बेहतर कर सकता है। लेकिन याद रखें, मीम से एमएलए नहीं बनते!

इस बार बिहार में “बहस नहीं, बस वोटिंग” चाहिए!

2025 का चुनाव बता देगा कि जनता को परिवर्तन चाहिए, पर किस टाइप का परिवर्तन — वो PK वाला टेक्नोक्रेट स्टाइल या RJD वाला पुराना खेल?

“बिहार में चुनाव है जनाब — यहां नेता बदलने से पहले पोस्टर बदलते हैं!”

Related posts

Leave a Comment