नीतीश की कैशबैक सरकार – छात्र, कर्मचारी और खिलाड़ी सब मालामाल!

गौरव त्रिपाठी
गौरव त्रिपाठी

चुनावी बयार के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में ऐसे फैसले लिए गए, जिन्हें सीधे तौर पर “जनता से जुड़ाव और मतदाता से संवाद” कहा जा सकता है।

शिक्षा क्षेत्र को मिली बड़ी सौगात – छात्रवृत्ति में बंपर बढ़ोतरी

  • पिछड़ा वर्ग एवं अति पिछड़ा वर्ग कल्याण छात्रवृत्ति योजना को ₹241 करोड़ की मंजूरी।

  • राज्य के मेडिकल कॉलेजों में इंटर्न कर रहे छात्रों की छात्रवृत्ति भी बढ़ाई गई।

  • अनुसूचित जाति एवं जनजाति आवासीय विद्यालयों में 1,800 पदों का सृजन, यानी और टीचर – और पढ़ाई।

रोज़गार और पद सृजन – सरकारी नौकरी की रफ्तार को मिला इंजन

  • कला एवं संस्कृति विभाग में 25 नए पद

  • उच्च न्यायालय और विश्वविद्यालय सेवा आयोग के पदों का पुनर्गठन

  • पंचायती तकनीकी लेखपाल और IT सहायकों का मानदेय अब पहले से बेहतर

नौकरी की चाह रखने वालों के लिए ये फैसले पॉलिटिकल रिटर्न गारंटीड स्कीम की तरह हैं।

स्वास्थ्य क्षेत्र में बड़ा धमाका – 7 नए मेडिकल कॉलेज को हरी झंडी

अब किशनगंज, कटिहार, रोहतास, शिवहर, लखीसराय, अरवल और शेखपुरा में नए मेडिकल कॉलेज और अस्पताल खुलेंगे।

इसका मतलब – न सिर्फ़ हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत होगा, बल्कि डॉक्टर बनने की चाहत रखने वाले स्टूडेंट्स के लिए नया रास्ता खुलेगा।

खिलाड़ियों को भी मिली ‘सीधी नियुक्ति’ की छूट

बिहार उत्कृष्ट खिलाड़ियों की सीधी नियुक्ति नियमावली को मंजूरी मिल गई है। अब खिलाड़ियों को उनके प्रदर्शन के आधार पर सरकारी नौकरी का डायरेक्ट पास मिलेगा।

कह सकते हैं – अब सिर्फ़ मेडल नहीं, नौकरी भी दिलाएगा खेल।

सुरक्षा और जोखिम पर सरकार का ध्यान – आतंक निरोधी दस्ते को 30% भत्ता

आतंकवादी निरोधक दस्ते (ATS) को अब मिलेगा 30% जोखिम भत्ता। यह फ़ैसला दिखाता है कि सरकार सिर्फ़ शिक्षा और रोजगार ही नहीं, सुरक्षा बलों की चिंता भी कर रही है।

बुनियादी ढांचे और प्रशासनिक सुधारों को भी मिला बूस्ट

  • भवन निर्माण विभाग के तहत पटना केंद्रीय पूल नियमावली में संशोधन

  • पथ निर्माण विभाग के अहम प्रस्ताव पास

  • मध्य निषेध विभाग की औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नीति और

  • जन्म-मृत्यु पंजीकरण अधिनियम 2025 में संशोधन को भी मंजूरी

ये कैबिनेट नहीं, चुनावी ‘जनहित पैकेज’ है

नीतीश सरकार ने चुनाव से ठीक पहले छात्रों, कर्मचारियों, डॉक्टरों, खिलाड़ियों, पुलिस कर्मियों और आम जनता को लुभाने के लिए जो “विकास-थाली” परोसी है, वह पॉलिटिकल माइक्रो टारगेटिंग का एक क्लासिक उदाहरण है।

अगर वोटरों को अपने पाले में खींचना हो, तो ये है “कैबिनेट कैलकुलेशन 101”!

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