रूडी-रवि-शाहनवाज: बीजेपी के गुमशुदा चेहरे या साइलेंट गेस्ट स्टार्स

गौरव त्रिपाठी
गौरव त्रिपाठी

एक समय था जब बिहार बीजेपी का मतलब था – शत्रुघ्न सिन्हा की दमदार आवाज़, रवि शंकर प्रसाद की संवैधानिक धमक, शाहनवाज हुसैन का अल्पसंख्यक चेहरा, और राजीव प्रताप रूडी का संसदीय अनुभव

अब?

शत्रुघ्न सिन्हा पहले ही पार्टी छोड़ के “खामोश” हो गए। बाक़ी बचे लोग अब पार्टी के वेटिंग रूम में बैठे लगते हैं।

टीवी पर कब दिखे थे याद नहीं, X पर कभी-कभी दिख जाते हैं

आजकल इन दिग्गजों को टीवी डिबेट्स में देखना अलका याग्निक के नए गाने सुनने जितना दुर्लभ हो गया है।

रवि शंकर प्रसाद अब कभी-कभी X (Twitter) पर बयान देते हैं — पर टीवी पर कब दिखे, TRP की मेमोरी भी भूल चुकी है।

शाहनवाज हुसैन का नाम बुलेटिन में नहीं, पार्टी की यादों में ही आता है।

और रूडी साहब? अब वो ट्रैफिक जाम में फंसी एम्बुलेंस जितने ही नज़र आते हैं — पता है कि ज़रूरी हैं, पर आते नहीं।

बीजेपी में इन नेताओं की हैसियत: ‘घर के एक्स्ट्रा मेंबर’

मोदी-शाह की बीजेपी अब एक स्ट्रक्चर्ड शो बन चुकी है, जहाँ:

  • कैमरे के सामने सिर्फ मुख्य कलाकार आते हैं,

  • बाकी गेस्ट रोल के लिए टाइम-टू-टाइम बुलाया जाता है

इन नेताओं की हालत वैसी हो गई है जैसे शादी में मामा जी को बुलाना भूल जाओ — “अरे, आपको तो सोचा ही नहीं!”

कभी थे ‘फेस ऑफ पार्टी’, अब बने ‘पेज ऑफ हिस्ट्री’

इन सभी नेताओं का राजनीतिक अनुभव और पार्टी के लिए योगदान रहा है:

  • रवि शंकर प्रसाद: कानून मंत्री, अडिग प्रवक्ता

  • राजीव प्रताप रूडी: मंत्री, संसदीय आवाज़

  • शाहनवाज हुसैन: बीजेपी का माइनॉरिटी चेहरा

लेकिन अब ये सब “Backbenchers of BJP” की तरह पार्टी में बैठे हैं — ना बाहर, ना एकदम भीतर।

“बीजेपी में अब अनुभव नहीं, एक्सेल शीट चलेगा — जो ट्रेंड कर रहा है, वही ब्रांड बन रहा है।”

मोदी युग का ‘बैकग्राउंड म्यूज़िक’

शत्रुघ्न सिन्हा की तरह जो लाउड थे, वो पार्टी छोड़ गए। जो शांत हैं, वो Permanent Mute Mode में चले गए हैं।

अब बीजेपी में बिहार से जो चेहरा चमकता है, वो है:

  • नरेंद्र मोदी की ब्रांड वैल्यू,

  • और भविष्य का डिजिटल DNA, जिसमें पुराने नेता बस फोल्डर में पड़े डॉक्युमेंट्स हैं।

बीजेपी का बिहार चैप्टर तेजी से “Youth-Oriented”, “High Command Controlled” और “TV-Friendly” बन चुका है।
रूडी, रवि, शाहनवाज जैसे चेहरे पार्टी में ज़रूर हैं, लेकिन उन्हें देखने के लिए शायद रिमाइंडर सेट करना पड़े।

अब पार्टी पूछती नहीं — “कौन पुराना है?”
अब पूछती है — “कौन वाइरल हो सकता है?”

“डेटा लाया, टोपी नहीं… बिहार में केजरीवाल वर्जन PK!”

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