बीबी ने टाली WW3 की घंटी? ट्रंप की एक कॉल ने बदल दी दुनिया की तक़दीर

Ajay Gupta
Ajay Gupta

शनिवार रात से रविवार सुबह तक दुनिया मानो थ्रिलर फिल्म में जी रही थी। अमेरिकी बी‑2 बॉम्बर उड़ान भर चुके थे, मिसाइलें, बम, आग! और फिर बस एक पाँच शब्द ने दुनिया को बचा लिया — “बीबी को फोन पर लो…” — ट्रंप की वो ऐतिहासिक कॉल जिसने युद्ध के मैटर बोल्ड से इमोशनल मोड में बदल दिए।

ईरान बनाम इसराइल: क़तर की चुप्पी और भारत की तेल चिंता

ऑपरेशन मिडनाइट हैमर — बंकर बस्टर का धमाका!

बी‑2 बॉम्बर्स ने फोर्डो, इस्फहान और नतांज पर छोड़े 30,000-पाउंड के बंकर-बस्टर बम – एक असोसिएटेड प्रेस स्टाइल एक्शन सीक्वेंस जिसमें ईरान के परमाणु ढांचे पर ठोस वार हुआ। पुरा मध्य पूर्व झूम उठा — जैसे ट्रेलर देखी हो पर फिल्म नहीं शुरू हुई थी।

बीबी बोलो — और नेतन्याहू हुए के, ब्रो!

व्हाइट हाउस के बंकर मीटिंग रूम में ट्रंप ने नेतन्याहू को सीधे कॉल की और कहा—“रुको, वरना सब जल जाएगा।” नेतन्याहू ने मोड़ लिया, कहा बस इतना: “ठीक है, समझ गया।” इससे पहले ईरानी और इजरायली मिसाइलों का अंधाधुंध खेल शुरू हो चुका था, लेकिन तुरंत ‘रेड अलर्ट’ से ‘रेड कोल्ड वॉर’ मॉड में बदल गया।

कतर की डिप्लोमैटिक एग्ज़िट!

ट्रंप ने जब ईरान से बात करनी चाही, तो कॉल पर्सनल नहीं बल्कि प्रिंसली था! “कतर से बात करो, यार।” कतर ने मध्यस्थता संभाली — उन्होंने खुद को डिप्लोमैटिक स्पॉइलर बना लिया, और ट्रंप-नेतanyahu-आयतollah ड्रामा को शांति मॉडल की तरफ मोड़ दिया।

ईरानी सत्ता का फूट और 600 मौतों की गाथा

ईरान ने शुरू में किया ड्रामा—“हम दबाव में नहीं झुकेंगे।” लेकिन अंदरूनी झड़प तब शुरू हुई जब 600 से ज्यादा मौतें, 10 परमाणु वैज्ञानिक, और सैन्य नेतृत्व हवा हो गया। उस समय ट्रंप ने घोषणा कर दी: “वॉरटाइम ऑन हो चुका है — पर अब सभी म्यूट।”

क्या टला WW3? या सिर्फ ‘TTL’ — Temporary Truce ले लो!

अवैध मिसाइलों की बारिश और परमाणु धमाकों की अफ़वाह थी। कई रक्षा विशेषज्ञ अब मान रहे हैं—अगर गेम और देर तक चलता, तो WW3 बन सकता था। ट्रंप की कॉल ने तो उम्र चुराई… लेकिन टेंशन का मोल अभी भी बाकी है।

अब क्या? दुनिया कहेगी “पुनः शुरू भी हो सकता है”

बिल्कुल — जैसे बारिश टलने पर वायुमंडल गीला रह जाता है, वैसे ही शांति-डील के नीचे भी राख अभी सुलग रही है। सवाल यही है—अगली गर्मी में फिर हवा चलेगी या फिर कोई कॉल सब संभाल लेगा?

क्या ‘कथा’ भी अब जाति देखकर सुनाई जाएगी?

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