
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में एक बार फिर गौरक्षा के नाम पर कानून को हाथ में लेने का मामला सामने आया है। चार मीट कारोबारियों को कथित गौरक्षकों के एक समूह ने गोमांस ले जाने के शक में बेरहमी से पीटा। घटना के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए, जिससे मामला गरमा गया।
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एफएसएल रिपोर्ट में खुलासा – गोमांस नहीं, भैंस का मांस
पुलिस जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। अलीगढ़ के पुलिस अधीक्षक संजीव सुमन ने बताया कि जब्त किए गए मांस की फॉरेंसिक जांच कराई गई, और एफएसएल रिपोर्ट में पुष्टि हुई कि वह मांस भैंस का था, गोमांस नहीं। यह खुलासा हमलावरों की जल्दबाज़ी और पूर्वाग्रहों को उजागर करता है।
हमलावरों पर केस, चार गिरफ्तार
इस हिंसक घटना के संबंध में पुलिस ने दो एफआईआर दर्ज की हैं—एक पीटने वाले हमलावरों पर और दूसरी मीट ले जा रहे कारोबारियों पर। हालांकि पुलिस ने साफ किया है कि मांस वैध रूप से ले जाया जा रहा था और दस्तावेज़ भी मौजूद थे।
“मीट कारोबारी कानून के दायरे में काम कर रहे थे। अब उनके खिलाफ दर्ज मुकदमा जांच के बाद समाप्त कर दिया जाएगा,” — पुलिस अधीक्षक संजीव सुमन ने कहा।
फिलहाल चार हमलावरों को गिरफ्तार किया गया है और अन्य की पहचान की जा रही है।
घायल अब सुरक्षित, लेकिन सवाल बरक़रार
घायल हुए कारोबारी इस समय अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में इलाजरत हैं। तीन की हालत स्थिर है जबकि एक व्यक्ति गंभीर स्थिति में है।
घटना के बाद स्थानीय समुदाय में भय और आक्रोश दोनों का माहौल है।
कानून का सवाल – न्याय की ज़रूरत
यह घटना न केवल गौरक्षा के नाम पर होती हिंसा पर सवाल खड़े करती है, बल्कि यह भी सोचने पर मजबूर करती है कि किस आधार पर लोगों को शक के दम पर पीटने का ‘लाइसेंस’ मिल रहा है।
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