
रॉनी (टाइगर श्रॉफ) एक बार फिर देश बचाने के चक्कर में एक्सीडेंट कर बैठते हैं, और जाते हैं कोमा में। जब सात महीने बाद उठते हैं, तो उन्हें अपनी प्रेमिका अलीशा (हरनाज संधू) की याद आती है… लेकिन ट्विस्ट ये कि कोई उसे जानता ही नहीं!
डॉक्टर, भाई, और यहां तक कि दर्शक तक सोचते हैं – “क्या ये भी वो ‘बागी’ वाला प्लॉट है, जो पहले भी तीन बार देखा है?”
इंटरवल तक: रॉनी अपने ‘वहम’ से लड़ते हैं।
इंटरवल के बाद: स्क्रीनप्ले खुद से लड़ता है।
अब कुल्हाड़ी मारना है ‘मास’ अपील?
सिनेमाघरों में बैठकर आपको लगेगा कि आपने Animal, KGF, और कुछ हॉलीवुड स्टंट्स को कम रेजोल्यूशन में देखा है।
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टाइगर अब भी उड़ते हैं,
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विलेन अब भी गिरते हैं,
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मगर दर्शक अब थक चुके हैं।
कुछ हीरो अब भी डायलॉग्स को हिट एंड रन मानते हैं
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टाइगर श्रॉफ अब भी “Acting is optional” स्कूल से ग्रेजुएट हैं।
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हरनाज संधू, डेब्यू में सुंदर लगीं लेकिन संवाद डिलिवरी में Miss Universe vibes नहीं, Missed Lines vibes हैं।
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सोनम बाजवा पूरी फिल्म में मौजूद हैं, मगर क्यों हैं – ये डायरेक्टर भी भूल जाते हैं।

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संजय दत्त की प्रेम कहानी का फ्लैशबैक देखकर लगेगा – शायद ये मुन्ना भाई वाला यूनिवर्स नहीं, बिग बॉस बैकस्टोरी है।
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श्रेयस तलपड़े और सौरभ सचदेव जैसे कलाकारों का टैलेंट स्क्रीनप्ले के नीचे दब गया।
“बेशरम रंग” की क्लोन मशीन चालू है
हरनाज पर फिल्माया गया गाना “ये मेरा हुस्न” देखने के बाद आप “बेशरम रंग” की सराहना करने लगेंगे।
बाकी गाने? हाँ, थे। (बस याद नहीं)
डायरेक्शन & स्क्रीनप्ले –
डायरेक्टर ए. हर्ष को अगर आपने पहले नहीं सुना, तो अब भी भूल जाइए। साजिद नाडियाडवाला ने खुद स्क्रिप्ट लिखी है – जो एक अच्छी बात है… अगर आप दुश्मन हैं।
अगर ‘Baaghi 4’ एक एक्सप्रेस ट्रेन होती, तो वो बिना ड्राइवर के चलती, बीच में पटरी से उतरती, और फिर कहती – “Plot कहाँ है भाई?”
रेटिंग: 1.5/5 ⭐
(1 स्टार: हरनाज की डेब्यू की इज्जत रखने के लिए,
0.5 स्टार: स्टंट डायरेक्टर्स के नाम – जिन्होंने फिल्म से ज्यादा मेहनत की)
क्यों देखें?
अगर आप टाइगर श्रॉफ के hardcore फैन हैं। या आपको कुल्हाड़ी वाले एक्शन बिना कहानी के ही पसंद हैं। या आप Popcorn खाकर सोने की प्लानिंग से थियेटर जा रहे हैं।
क्यों न देखें?
अगर आप किसी कहानी, लॉजिक, या एक्साइटमेंट की उम्मीद कर रहे हैं। अगर आपको अपने 2 घंटे 37 मिनट और 300 रुपये की वैल्यू पता है।
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