
B-2 बॉम्बर अपने ही घर में वो डोमेस्टिक फ्लाइट से टक्कर खाते-खाते बच गया। ऐसा न हो कि अगली बार बम दुश्मन पर नहीं, गलती से डोमेस्टिक उड़ानों पर गिर पड़े!
कब हुआ ये सस्पेंस से भरा सीन?
यह हाई-वोल्टेज सीन शुक्रवार, नॉर्थ डकोटा में रचा गया। जहां एक छोटे से एयरपोर्ट पर तैनात ATC ने इतनी बड़ी चूक कर दी कि B-2 बॉम्बर और एक व्यावसायिक विमान आमने-सामने आ गए। शुक्र है, कोई “बॉम्ब” न्यूज़ नहीं बन गई!
ATC: All Talk, No Control?
वायुसेना ने खुलासा किया कि एक B-52 बॉम्बर को फ्लाईओवर की इजाजत तो दी गई (यानी “बिंदास उड़ो”), लेकिन उसी वक्त वहां डेल्टा फ्लाइट 3788 भी लैंडिंग के लिए तैयार खड़ी थी।
और मज़ेदार बात ये है — किसी ने किसी को कुछ बताया ही नहीं! जैसे कॉलेज फेस्ट में दो अलग-अलग बैंड एक ही स्टेज पर बिठा दिए गए हों।
कैसे बची 80 जानें?
डेल्टा फ्लाइट के पायलट ने एकदम ‘फिल्मी स्टाइल’ में तेज़ मोड़ लिया और B-2 बॉम्बर से टकराने से खुद को और फ्लाइट को बचा लिया। उनके इंटरकॉम से आई आवाज़ खुद बयां कर रही थी:
“माफ़ कीजिए, वह मोड़ थोड़ा आक्रामक था… मुझे भी नहीं पता हमें किसी ने क्यों नहीं बताया।”
बोलिए जनाब, कोई दिक्कत नहीं… जान है तो जान है!
क्या बोले जांच एजेंसियां?
अब FAA, वायुसेना और स्काइवेस्ट तीनों मिलकर इस ‘हवाई ड्रामा’ की जांच कर रहे हैं। एक तरफ दुनिया में फिफ्थ जेनरेशन टेक्नोलॉजी उड़ रही है, और दूसरी तरफ यहां पायलट पूछ रहा है — “किसे पता था?”
पुरानी गलतियों से नहीं सीखा?
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लगता है FAA अब भी सोच रहा है — “क्या सच में हमें कुछ करना चाहिए?“
बॉम्बर उड़ाओ, लेकिन GPS और ATC की भी पूछ लो!
ऐसी घटनाएं साफ़ बताती हैं कि अमेरिका में सिर्फ दुश्मन देशों से खतरा नहीं, कभी-कभी अपने ही Air Traffic Control से भी खतरा हो सकता है।
अगली बार जब B-2 बॉम्बर उड़ान भरे, तो उसे एक छोटा सा Reminder भी दे दें:
“भाई, देख के उड़ाना… नीचे लोग रहते हैं!”
अगर आप भी हवाई यात्राएं करते हैं, तो एक सलाह – सिर्फ सीट बेल्ट नहीं, भगवान का नाम भी साथ रखें!