रावण बना… पर नहीं जला! अयोध्या में ‘सुरक्षा’ ने ली लंका दहन की बलि?

शालिनी तिवारी
शालिनी तिवारी

अयोध्या में दशहरे के लिए 240 फीट ऊँचा रावण और 190 फीट के मेघनाद-कुंभकर्ण बनाए गए थे। कारीगरों ने महीनों की मेहनत से इन पुतलों को तैयार किया। लेकिन जैसे ही पुतलों को जलाने का समय करीब आया… प्रशासन ने सुरक्षा की ‘लक्ष्मण रेखा’ खींच दी

पुलिस का तर्क: “Permission नहीं ली, तो पुतले नहीं जले”

सर्किल ऑफिसर देवेश चतुर्वेदी के मुताबिक़:

“आयोजकों ने पूर्व अनुमति नहीं ली थी, और यह कार्यक्रम पारंपरिक भी नहीं है। ऐसे में सुरक्षा को देखते हुए बैन लगाया गया है।”

मतलब रावण के पास NOC नहीं था, वरना शायद उसकी लंका फिर से जलती!

आयोजक बोले: “तीन दिन पहले बैन? ये तो प्री-क्लाइमेक्स में सेंसरशिप है!”

फिल्म कलाकर रामलीला समिति के अध्यक्ष सुभाष मलिक बोले:

“मध्य प्रदेश, राजस्थान जैसे राज्यों से कारीगर बुलाकर हज़ारों की मेहनत की। अब आख़िरी सीन से पहले कट बोल दिया गया।”

एक तरह से देखा जाए, तो ये रावण Censor Board की जगह पुलिस के हाथों कट हुआ।

लगता है रावण ने खुद भी नहीं सोचा होगा कि वह इस बार राम के बाण से नहीं, अफसरशाही की फाइलों में फँसकर बचेगा!

और ये दशहरा, लंका दहन नहीं बल्कि “NOC दहन दिवस” बन गया है।

बड़ा सवाल: सुरक्षा या संस्कृति पर सेंसर?

क्या प्रशासन को अंतिम समय पर ही सुरक्षा का ध्यान आया?

क्या पारंपरिक त्योहारों में आधुनिक नियमों का हस्तक्षेप बढ़ रहा है?

और सबसे जरूरी: रावण के ना जलने से क्या पाप कम नहीं होंगे?

अयोध्या में रावण तैयार है, मेघनाद-कुंभकर्ण भी कतार में हैं…लेकिन इस बार बुराई की हार का सीन नहीं चलेगा। क्योंकि अनुमति नहीं मिली, और सुरक्षा सबसे ऊपर है। रावण का अंतिम संस्कार टल गया है — फिलहाल।

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