
5 अगस्त 2019 को भारतीय संविधान से अनुच्छेद 370 हटाया गया था, जिसने जम्मू-कश्मीर को मिला विशेष दर्जा खत्म कर दिया। तब से लेकर आज तक, घाटी में बदलाव की कई परतें देखने को मिली हैं — कुछ ज़मीन पर और कुछ सियासत में।
अनुच्छेद 370 क्या था?
अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर को भारत में एक विशेष दर्जा देता था। यहां के लोग सिर्फ राज्य के स्थायी नागरिक ही माने जाते थे।
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दूसरे राज्यों के नागरिक यहां ज़मीन नहीं खरीद सकते थे।
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भारतीय संसद के सारे कानून सीधे लागू नहीं होते थे।
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जम्मू-कश्मीर का अपना अलग संविधान भी था।
यह अनुच्छेद 2019 में हटाया गया और इसके साथ ही अनुच्छेद 35A भी समाप्त हुआ, जिससे स्थानीय लोगों के विशेषाधिकार खत्म हुए।
विकास की रफ्तार: चिनाब ब्रिज बना नया प्रतीक
370 हटने के बाद सबसे चर्चित प्रोजेक्ट रहा — चिनाब रेल ब्रिज, जिसकी ऊंचाई एफिल टावर से ज्यादा (359 मीटर) है।
यह इंजीनियरिंग का एक अजूबा है, जो भूकंप और तेज़ हवाओं को भी झेलने में सक्षम है। यह कश्मीर को रेल नेटवर्क से देश के बाकी हिस्सों से जोड़ता है — एक सामरिक और सामाजिक दोनों दृष्टि से अहम कड़ी।
टूरिज़्म और रोज़गार में उछाल
370 हटने के बाद घाटी में पर्यटन में बूम आया।
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2023 में करीब 2 करोड़ टूरिस्ट पहुंचे
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होटल व्यवसाय, टूर गाइड, कैब सेवा जैसी इंडस्ट्री में स्थानीय लोगों को रोज़गार मिला
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सुरक्षा हालात सुधरने से ट्रेवल एजेंसियों को नई जान मिली
यह पहली बार था जब कश्मीर के युवा रोज़गार के लिए बाहर नहीं, अपने घर में ही विकल्प खोज रहे थे।
शिक्षा में क्रांति: AIIMS से लेकर IIT तक
कश्मीर में अब AIIMS, IIT और IIM जैसे राष्ट्रीय स्तर के संस्थान खुल चुके हैं।
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मेडिकल, इंजीनियरिंग और नर्सिंग कॉलेजों की संख्या बढ़ी
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दूरदराज़ इलाकों में इंटरनेट कनेक्टिविटी पहुंचाई गई
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स्कूल इंफ्रास्ट्रक्चर में भी सरकार ने निवेश किया
यानी अब बच्चों को बेहतर भविष्य के लिए बाहर नहीं भागना पड़ता।
सुरक्षा और आतंक पर कितना कंट्रोल?
370 हटने के बाद सुरक्षा एजेंसियों को बिना राज्य की मंज़ूरी के ऑपरेशंस चलाने की छूट मिली।
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आतंकवादी घटनाओं में भारी गिरावट दर्ज हुई
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सीमा पर सुरक्षा व्यवस्था और स्मार्ट फेंसिंग बढ़ी
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लोकल सपोर्ट बेस कमज़ोर हुआ
हालांकि, चुनौतियां अभी भी हैं — लेकिन पहले की तुलना में हालात काबू में हैं।
सियासी समीकरण और स्थानीय राजनीति
हालांकि लोकल पार्टियों ने इसे “अधिकारों की चोरी” बताया और अब भी इस फैसले का विरोध करती हैं, लेकिन विकास के ज़मीनी आंकड़े एक अलग कहानी बताते हैं।
370 हटने के बाद कश्मीर — भ्रम या बदलाव?
370 हटने के 6 साल बाद कश्मीर में जो बदला है, वो पूरी तरह सही या गलत कहना मुश्किल है।
पर यह जरूर कहा जा सकता है कि:
“पहले जो असंभव लगता था, अब वह निर्माणाधीन है!”
“कुदरत का कहर और इंसानियत की पुकार” — राहुल का संवेदनात्मक संदेश