किसन बापट बाबूराव हजारे- गरीबी में पला जीवन, संघर्ष ने बनाया ‘Anna’

गौरव त्रिपाठी
गौरव त्रिपाठी

देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ अलख जगाने वाले Anna Hazare एक बार फिर सुर्खियों में हैं। लेकिन इस बार दांव बड़ा है—अन्ना का कहना है कि रालेगण सिद्धि में होने वाला आमरण अनशन उनकी जिंदगी का आखिरी अनशन होगा।
सरकार मानी तो ठीक… नहीं मानी तो अन्ना जी भी पीछे हटने वालों में से नहीं!

उन्होंने महाराष्ट्र के CM देवेंद्र फडणवीस को चिट्ठी भेजकर साफ कहा— “लोकायुक्त कानून लागू करो, वरना मैं अंतिम सांस तक अनशन करूंगा।”

Soldier to Social Reformer—अन्ना का अनोखा सफर

गांधीवादी विचारधारा से प्रभावित अन्ना हजारे ने सेना में 15 साल तक देश सेवा की। 1965 के युद्ध में खेमकरण में पाकिस्तानी एयर स्ट्राइक में उन्होंने मौत को आंखों-आंख देखा—वह इकलौते बचे सिपाही थे। रिटायर होकर उन्होंने देश की सेवा का नया रास्ता चुना—सामाजिक सुधार और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई

गरीबी में पला जीवन, संघर्ष ने बनाया ‘Anna’

1938 में भिंगारी गांव में जन्मे अन्ना का असली नाम था—किसन बापट बाबूराव हजारे। गरीबी इतनी कि 7वीं के बाद पढ़ाई रोकनी पड़ी।
परिवार मुंबई आया, और अन्ना को 40 रुपए महीने पर फूल की दुकान में काम करना पड़ा। लेकिन संघर्ष ने उन्हें मजबूत ही बनाया।

Mumbai से Army तक—‘Common Man’ से ‘Brave Soldier’

मुंबई में गरीबों की रक्षा करने वाले एक गुट में शामिल होकर अन्ना सामाजिक काम करने लगे। देश को सेना की जरूरत पड़ी तो बिना सोचे Maratha Regiment जॉइन कर ली। 1965 में जब पाकिस्तानी बमवर्षक चले, तब कई साथी शहीद हुए—अन्ना बचे और देश की सेवा को नया मायना मिला।

Ralegan Siddhi—जहां अन्ना ने मिट्टी से चमत्कार किया

रिटायरमेंट के बाद अन्ना रालेगण सिद्धि लौटे और गांव को पहचान दी।

  • तालाब बनवाए
  • पानी बचाने की तकनीक विकसित की
  • पेड़ लगाए
  • गोबर गैस प्लांट लगवाए
  • शराबबंदी लागू की

आज रालेगण सिद्धि भारत के सबसे सफल मॉडल गांवों में गिना जाता है

लोकायुक्त कानून पर सरकार से ‘अंतिम लड़ाई’

2022 से महाराष्ट्र में लोकायुक्त कानून का ड्राफ्ट तैयार है, लेकिन लागू नहीं हुआ। अन्ना ने फडणवीस को सात बार पत्र लिखा—जवाब नहीं आया।
अब अन्ना ने कमर कस ली है— “30 जनवरी से अंतिम अनशन… अब या तो कानून, या मेरी आखिरी लड़ाई।”

सियासत गर्म, सरकार परेशान और देश देख रहा है—अन्ना फिर सिस्टम को चुनौती देने तैयार हैं।

दिल्ली में 500-1000 के पुराने नोटों का जखीरा बरामद, नोटबंदी पर बड़ा सवाल

Related posts

Leave a Comment