कबाड़ में कमाल! पुराना लैपटॉप अब स्टार्टअप का हॉटस्टार

महेंद्र सिंह
महेंद्र सिंह

जब देश में बेरोजगारी टॉप गूगल ट्रेंड में हो और ई-वेस्ट टॉप गली में, तो यही वक्त है कबाड़ को कमाई में बदलने का।

कच्चा माल: क्या चाहिए इस स्टार्टअप के लिए?

  • पुराने, डैमेज, डेड लैपटॉप (IT कंपनियों, कॉलेज, बैंक, सर्विस सेंटर से)

  • बेसिक रिपेयर टूल्स: स्क्रू ड्राइवर सेट, थर्मल पेस्ट, RAM, SSD आदि

  • सॉफ्टवेयर टूल्स: Windows/Linux, diagnostic tools, data wiper

हां, थोड़ी “जुगाड़ तकनीक” भी ज़रूरी है, ताकि लैपटॉप की सांस फिर से चल पड़े।

टारगेट ऑडियंस: बेचना किसे है?

  1. छात्र – कम बजट में लैपटॉप चाहिए

  2. वर्क फ्रॉम होम यूज़र – हाई-स्पेक्स की ज़रूरत नहीं

  3. फ्रीलांसर/ब्लॉगर – बेसिक डिवाइस चलाएंगे

  4. NGOs, छोटे स्कूल/कोचिंग सेंटर – bulk में सस्ते सिस्टम चाहिए

  5. अफ्रीका और दक्षिण एशिया जैसे निर्यात बाजार – पुराना भी ब्रांड न्यू लगता है

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लागत और निवेश: शुरुआत कैसे करें?

खर्च का मद अनुमानित लागत (₹)
10 पुराने लैपटॉप (bulk deal) ₹30,000–40,000
रिपेयर टूल्स व पार्ट्स ₹10,000
वर्कस्पेस/गाराज रेंट (घरेलू) ₹0–5,000
वेबसाइट/Instagram मार्केटिंग ₹5,000
कुल प्रारंभिक लागत ₹50,000–60,000

यूट्यूब पर DIY वीडियो देखकर टीवी खोल चुके हो, तो लैपटॉप भी खोल लोगे।

कमाई और बिक्री का मॉडल: पैसा कहां से आएगा?

  1. रीफर्बिश्ड लैपटॉप बिक्री (₹6,000–₹20,000 प्रति यूनिट)

  2. पार्ट्स रीसेलिंग (RAM, SSD, डिस्प्ले)

  3. ई-कचरा स्क्रैप बिक्री (मदर्सबोर्ड, कॉपर, एल्युमिनियम)

  4. AMC (Annual Maintenance Contracts) – छोटे संस्थानों के लिए

एक पुराना लैपटॉप जो IT कंपनी फेंक देती है, वही स्टूडेंट के लिए उम्मीद बन सकता है।

बिक्री के रास्ते: ग्राहक कहां मिलेंगे?

  • Instagram/WhatsApp बिज़नेस पर कैटलॉग

  • OLX, Quikr, Facebook Marketplace

  • Amazon/Flipkart पर खुद की ब्रांडिंग (Refurbished seller)

  • कॉलेज कैंपस, कोचिंग हब, NGO आउटरीच

सरकार ई-वेस्ट नीति बनाए, आप ई-वैल्यू बना लो!

जब सरकार “डिजिटल इंडिया” के नाम पर नई योजनाएं लाती है, तब उनके छोड़े हुए पुराने सिस्टम से आप नई कमाई बना सकते हैं।

कोई नई योजना आए न आए, आपका “Used is Useful” मॉडल हमेशा Evergreen रहेगा!

पुराना लैपटॉप सिर्फ e-waste नहीं, e-wealth है।
थोड़ी समझदारी, थोड़ी मार्केटिंग और थोड़ी वेल्डिंग—यही है आज के जमाने का मिनी स्टार्टअप मॉडल।

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