
जम्मू-कश्मीर में श्रद्धालुओं का पहला जत्था आज अमरनाथ की पवित्र गुफा के दर्शन करेगा। इस पावन यात्रा की शुरुआत एक बार फिर कड़ी सुरक्षा और प्रशासन की सतर्कता के साथ हो रही है।
अखिलेश का 52वां जन्मदिन: जानिए यूपी के सबसे युवा मुख्यमंत्री की कहानी
581 कंपनियां तैनात, फुलप्रूफ सिक्योरिटी प्लान
अप्रैल में पहलगाम में हुए चरमपंथी हमले के बाद इस साल यात्रा के लिए सुरक्षा प्रबंध बेहद सख्त किए गए हैं। 581 अर्धसैनिक बलों की कंपनियां कश्मीर में तैनात की गई हैं, जिससे सुरक्षा का एक मजबूत घेरा बना है।
दोनों रास्तों पर बंकर और निगरानी
यात्रियों के दोनों रूट – पहलगाम और बालटाल – पर सुरक्षा बंकर बना दिए गए हैं। लंगालबाल प्वाइंट जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में फेश रिकग्निशन कैमरे लगाए गए हैं ताकि हर गतिविधि पर नजर रखी जा सके।
सुरक्षा नियमों का उल्लंघन तो क़ानूनी कार्रवाई तय
पुलिस ने स्पष्ट कर दिया है कि सुरक्षा दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई की जाएगी। तीर्थयात्रियों से आग्रह किया गया है कि वे हर नियम का पालन करें ताकि यात्रा शांतिपूर्वक संपन्न हो सके।
पहले भी हमलों का रहा है इतिहास
यह यात्रा अतीत में चरमपंथियों के निशाने पर रही है।
-
2017 में अनंतनाग ज़िले में हुए हमले में 7 यात्रियों की जान गई थी।
-
2 अगस्त 2000 को पहलगाम बेस कैंप पर हमला हुआ था जिसमें 21 श्रद्धालुओं समेत 32 लोग मारे गए थे।
हमले के बाद श्रद्धालुओं की संख्या में गिरावट
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने हाल में बताया कि अप्रैल में हुए पहलगाम हमले के बाद इस बार श्रद्धालुओं की संख्या में गिरावट दर्ज की गई है। हालांकि प्रशासन की ओर से विश्वास दिलाया गया है कि इस बार यात्रा पूरी तरह सुरक्षित और व्यवस्थित होगी।
आस्था और सुरक्षा साथ-साथ
अमरनाथ यात्रा केवल धार्मिक नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर एक संवेदनशील आयोजन भी है। इस बार प्रशासन ने सुरक्षा के मोर्चे पर जो तैयारियां की हैं, वे न केवल यात्रियों की सुरक्षा को सुनिश्चित करेंगी, बल्कि आम जनता का भरोसा भी बहाल करेंगी।