
समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का फेसबुक अकाउंट शुक्रवार की शाम अचानक सस्पेंड हो गया। अकाउंट के अचानक गायब होने से सियासी गलियारों में हलचल मच गई। सोशल मीडिया पर उनके समर्थक और विपक्षी दोनों ही हैरान रह गए।
फिर से बहाल, और क्या कहा अखिलेश?
कुछ घंटे बाद ही फेसबुक ने अकाउंट बहाल कर दिया।
अखिलेश ने पत्रकारों से कहा, “मुझे बताया गया कि मेरा अकाउंट ‘वयस्क यौन शोषण और हिंसा’ की वजह से सस्पेंड हुआ था। पर जब मैंने जांच की तो पाया कि ये आरोप बलिया की एक महिला से जुड़ी पोस्ट और एक पत्रकार की हत्या से संबंधित पोस्ट पर लगाए गए थे। इसमें ग़लत क्या था?”
क्या है असली कहानी?
अखिलेश यादव ने साफ़ किया कि वे सरकार की कोशिशों को पहचानते हैं जो विपक्ष की आवाज़ दबाने की रणनीति बना रही है। उन्होंने कहा,
“हमने समझ लिया है कि ज़मीनी स्तर पर काम करना ही सबसे असरदार तरीका है, और हम इसे जारी रखेंगे।”
सोशल मीडिया सेंसरशिप पर सवाल
यह मामला एक बार फिर सोशल मीडिया सेंसरशिप और ऑनलाइन फ्रीडम ऑफ़ एक्सप्रेशन की बहस को गर्मा देता है। क्या सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की ताकत बहुत ज़्यादा हो गई है, जो विपक्षी नेताओं की आवाज़ भी दबा सकते हैं?
सोशल मीडिया और राजनीति का ये खेल लगातार बदलता रहेगा। अखिलेश जैसे नेता ज़मीन पर अपनी लड़ाई जारी रखेंगे और ऑनलाइन भी अपनी आवाज़ बनायेंगे।
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