
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक बार फिर सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। मौका था बाढ़ और स्मार्ट सिटी की दुर्दशा का, लेकिन हमला इतना तीखा था कि कुर्सी तक भीग गई होगी।
उन्होंने कहा कि, “भाजपा सरकार में हर योजना का मतलब है – लूट, कमीशन और फिर बेशर्मी से रिबन काटना!”
स्मार्ट सिटी या ‘स्मार्ट घोटाले’?
सपा अध्यक्ष ने लखनऊ, प्रयागराज और अन्य स्मार्ट शहरों की हालत को ‘बनावटी सुंदरता की पोल’ बताया।
“सड़क पर गड्ढे ऐसे हैं कि अगर मोबाइल गिर जाए तो नेटवर्क तो छोड़ो, मोबाइल ही स्वाहा हो जाए!”
प्रयागराज का जिक्र करते हुए बोले – “20 हज़ार करोड़ खर्च हो गए, लेकिन लोग अब भी घर से नाव लेकर निकलते हैं। ये स्मार्ट सिटी नहीं, ‘संकट सिटी’ बन गई है!”
बाढ़ में बहती सरकार
यूपी के 17 जिलों में बाढ़ का कहर जारी है। सैकड़ों गांव जलमग्न हैं, फसलें नष्ट, लोग बेघर – लेकिन सरकार?
“गूगल मैप पर भी शायद ‘Unavailable’ दिख रही है!”
अखिलेश यादव का तंज – “भाजपाई नेता अपने स्वार्थ में मस्त हैं, जनता को रामभरोसे छोड़ दिया है।”
राहत के नाम पर प्रचार की नाव
राज्य के राहत आयुक्त भानु चंद्र गोस्वामी ने बताया कि 84,392 लोग प्रभावित हैं। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें तैनात हैं, लेकिन जनता का सवाल है—
“टीमें दिखती क्यों नहीं?”
सपा प्रमुख ने व्यंग्य में पूछा– “भाजपा नेता सिर्फ इनॉगरेशन और इनॉरगनाइजेशन के लिए रहते हैं। काम के वक्त कहां गायब हो जाते हैं?”
सड़कों से लेकर नालों तक और स्मार्ट प्लान से लेकर बाढ़ राहत तक, अखिलेश ने सरकार को हर मोर्चे पर घेर लिया। और जनता?
जनता बाढ़ में तैर रही है, विकास कागज़ पर सूख रहा है।
यूपी में जहां एक तरफ प्राकृतिक आपदा कहर ढा रही है, वहीं विपक्ष इसे ‘सरकारी आपदा’ कह रहा है। अखिलेश यादव का ताज़ा हमला न सिर्फ बाढ़ और भ्रष्टाचार पर था, बल्कि उस सिस्टम पर भी जिसने 20 हज़ार करोड़ के बाद भी जल निकासी नहीं सीखी।
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