अखाल के जंगल में गोलियों की गूंज – सात दिन, एक आतंकी, अनकहे खतरे

अजमल शाह
अजमल शाह

श्रीनगर से करीब 90 किलोमीटर दूर अखाल के घने जंगलों में पिछले 7 दिनों से एक भीषण मुठभेड़ चल रही है। भारतीय सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस और सीआरपीएफ़ मिलकर इस ऑपरेशन को अंजाम दे रहे हैं। 1 अगस्त से शुरू हुआ यह ऑपरेशन अब 2025 का सबसे लंबा चलने वाला सुरक्षा अभियान बन चुका है।

अब तक का अपडेट: एक आतंकी ढेर, दो जवान घायल

भारतीय सेना ने दावा किया है कि इस अभियान में एक आतंकवादी को मार गिराया गया है, जबकि दो सुरक्षाकर्मी घायल हुए हैं। हालांकि उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है। सेना का कहना है कि घने जंगल और पहाड़ी इलाका ऑपरेशन में सबसे बड़ी चुनौती बनकर सामने आया है।

आधिकारिक पुष्टि: “अभी भी जारी है ऑपरेशन”

कश्मीर ज़ोन के इंस्पेक्टर जनरल विधि कुमार बिरदी ने बताया- “ऑपरेशन अभी जारी है। इलाका बेहद दुर्गम है, लेकिन सुरक्षाबल पूरे संयम और रणनीति के साथ आगे बढ़ रहे हैं।”

अखाल: आतंकियों की नई पनाहगाह?

अखाल इलाका घने जंगलों और ऊंची-नीची पहाड़ियों से घिरा हुआ है, जो आतंकियों के छिपने के लिए मुफ़ीद जगह बनता है। सेना ने बताया कि सूचना मिलने पर इलाके की घेराबंदी की गई और सर्च ऑपरेशन चलाया गया। लगातार फायरिंग और धमाकों की आवाज़ें इलाके में गूंज रही हैं, जिससे स्थानीय लोगों में डर का माहौल है।

क्या है आगे की रणनीति?

जानकारों के अनुसार, इतने लंबे ऑपरेशन का मतलब है कि या तो आतंकियों की संख्या ज़्यादा है, या इलाके की भूगोलिक बनावट ऑपरेशन को खींच रही है। हालांकि सेना और पुलिस का कहना है कि सभी सुरागों को ध्यान में रखते हुए ऑपरेशन जारी रहेगा
और किसी भी आतंकी को भागने नहीं दिया जाएगा।

ऑपरेशन लंबा जरूर, लेकिन साफ़ संदेश – आतंक के लिए जगह नहीं

अखाल की मुठभेड़ सिर्फ़ एक और ऑपरेशन नहीं, बल्कि ये एक साफ संदेश है कि जम्मू-कश्मीर में अब कोई आतंकी ‘सुरक्षित’ नहीं है, चाहे वो जंगल हो या पहाड़ी।

सुरक्षा बलों की रणनीति साफ है – “धैर्य से, लेकिन बिना रुकावट।”

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