
गोरखपुर के जंगल तिकोनिया नंबर तीन (वनटांगिया गांव) में एम्स गोरखपुर और चरगांवा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में एक स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया। इस अवसर पर पहुंचे मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) डॉ राजेश झा ने ग्रामीणों को बड़ी राहत देते हुए घोषणा की कि शीघ्र ही गांव में स्वास्थ्य उपकेंद्र खोला जाएगा, जिसे भविष्य में आयुष्मान आरोग्य मंदिर के रूप में उन्नत किया जाएगा।
60 वर्ष से अधिक आयु के ट्रांसजेंडर को मिलेगा वृद्धाश्रम, पेंशन और स्वास्थ्य सेवाएं
सीएमओ ने बताया कि किराये के भवन की उपलब्धता के साथ ही स्वास्थ्य उपकेंद्र की सेवाएं शुरू कर दी जाएंगी। ग्राम प्रधान ने भवन उपलब्ध कराने में सहयोग का आश्वासन दिया है।
वनटांगिया समुदाय को मिलेगा लाभ
स्वास्थ्य उपकेंद्र खुलने से वनटांगिया समुदाय को अपने क्षेत्र में ही प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं, बीमारी की समय पर पहचान, निशुल्क दवाइयां, टीकाकरण और अन्य आवश्यक सुविधाएं मिलेंगी। यह केंद्र एम्स और स्वास्थ्य विभाग द्वारा समय-समय पर लगाए जाने वाले शिविरों को भी आधार प्रदान करेगा।
एम्स विशेषज्ञों और स्थानीय टीम की भागीदारी
शिविर में एम्स गोरखपुर के विशेषज्ञ चिकित्सक जैसे डॉ आनंद मोहन दीक्षित, डॉ यू वैंकेटश, डॉ सुरभि नेगी सहित कई डॉक्टरों ने परामर्श और जांच सेवाएं दीं।
चरगांवा पीएचसी की टीम, डीसीपीएम रिपुंजय पांडेय, प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ धनंजय कुशवाहा सहित कई अन्य स्वास्थ्य अधिकारी भी मौजूद रहे।
स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाई गई
शिविर के दौरान ग्रामीणों को बताया गया कि किसी भी प्रकार का बुखार होने पर तुरंत चिकित्सकीय परामर्श लें। 108 एम्बुलेंस सेवा से आपातकालीन स्थिति में अस्पताल पहुंचा जा सकता है। गर्भवती महिलाओं के लिए 102 एम्बुलेंस सुविधा भी निःशुल्क है। सभी प्रकार के बुखार और मातृत्व सेवाएं सरकारी अस्पतालों में निशुल्क उपलब्ध हैं।
मांग और भविष्य की दिशा
गांव के प्रधान रामगनेश ने मिनी स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना की मांग की, जिसे अधिकारियों ने सकारात्मक रूप से लिया है। सीएमओ ने स्पष्ट किया कि एम्स गोरखपुर और स्वास्थ्य विभाग मिलकर समाज के अंतिम व्यक्ति तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने को लेकर प्रतिबद्ध हैं।
वनटांगिया गांव में स्वास्थ्य उपकेंद्र की स्थापना न केवल सामुदायिक स्वास्थ्य सेवा को मजबूत करेगी, बल्कि यह पहल योगी सरकार और एम्स गोरखपुर की समावेशी और ग्रामीण केंद्रित नीति का भी उदाहरण है। इस शिविर ने न सिर्फ इलाज का अवसर दिया, बल्कि स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता भी बढ़ाई।
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