
अगर आपको लगता है कि भारतीय रेलवे सिर्फ आम आदमी को ले जाने के काम आती है, तो ज़रा फिर से सोचिए। अब भारतीय रेल की छत से अग्नि-प्राइम मिसाइल छोड़ी जा रही है — और वो भी बिना कोई बिना आरक्षण की चिंता और PNR चेक किए।
क्या है अग्नि-प्राइम मिसाइल?
अग्नि सीरीज़ की ये सबसे एडवांस वर्जन है। मारक क्षमता: 2000 किलोमीटर तक। इसमें है कैनिस्टराइज्ड लॉन्च सिस्टम, मतलब कभी भी कहीं से भी फायर करो — बस “लॉन्च” दबाओ और धमाका देखो। सटीकता ऐसी कि लक्ष्य कहे: “भाई तू जान ले, मैं मान गया!”
रेल लॉन्च सिस्टम की अनोखी बात क्या है?
ये कोई फिल्मी सेट नहीं है, वास्तव में रेल पटरी पर चलने वाला मोबाइल लॉन्चर है। कम विजिबिलिटी, तेज रिएक्शन टाइम, और डायनेमिक लोकेशन मूवमेंट इसकी सबसे बड़ी खूबियां हैं। जंगल, पहाड़, मैदान — अग्नि-प्राइम कहती है: “जहां चाह वहां प्रहार”।
DRDO + भारतीय सेना = रॉकेट साइंस को रियल बना दिया
इस परीक्षण से भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है जिनके पास रेल-आधारित कैनिस्टराइज्ड लॉन्च टेक्नोलॉजी है। मतलब अब मिसाइलों के लिए प्लेटफॉर्म नंबर की जरूरत नहीं, बस कमांड चाहिए और लॉन्च तैयार है।
राजनाथ सिंह ने कहा – “ये अग्नि, हमारा गर्व है”
रक्षा मंत्री ने ट्विटर (या अब X?) पर पोस्ट करते हुए DRDO और सशस्त्र बलों को बधाई दी। कहा कि “रेल आधारित मोबाइल लॉन्चर से यह परीक्षण देश की रक्षा तकनीक में मील का पत्थर है।”
और हम कहेंगे — ये तो ‘आग’ का पत्थर है।

क्यों है ये टेस्ट गेम-चेंजर?
2000 KM रेंज + मोबाइल लॉन्च = अधिक रणनीतिक फ्लेक्सिबिलिटी। दुश्मन की सैटेलाइट निगरानी को भी चकमा। कम प्रतिक्रिया समय, यानी ज्यादा झटका कम समय में। भारत की रणनीतिक ताकत को ग्लोबल प्लेटफॉर्म पर बड़ा बूस्ट।
थोड़ा सटायर, थोड़ा सीरियस
इस मिसाइल ने साफ कर दिया है कि भारत अब सिर्फ टेक्नोलॉजी कंज्यूमर नहीं, टेक्नोलॉजी क्रिएटर बन चुका है। और अग्नि-प्राइम तो जैसे कह रही है —“हम चलते-चलते भी मार सकते हैं, बस ट्रैक क्लियर चाहिए!”
अग्नि-प्राइम का रेल लॉन्च परीक्षण भारत की डिफेंस टेक्नोलॉजी में बड़ी छलांग है। यह आत्मनिर्भर भारत और सैन्य ताकत का ऐसा संगम है, जिसमें देशभक्ति, टेक्नोलॉजी और प्रहार — तीनों का जबरदस्त मेल है।
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