हलो यू पी ( 28 - 02 - 2014 ) -
फिल्म : शादी के साइड इफेक्ट्स
निर्माता : प्रीतीश नंदी, एकता कपूर
निर्देशक : साकेत चौधरी
संगीत : प्रीतम चक्रवर्ती
कलाकार : विद्या बालन, फरहान अख्तर, राम कपूर, पूरब कोहली, वीर दास, इला अरूण
शादी के साइड इफेक्ट्स फिल्म के नाम से मालूम पडता है कि शादी के बाद जीवन में क्या-क्या बदलाव आता है। इस फिल्म में शादी के बाद होने वाले साइड इफेक्ट को बहुत बारीकी के साथ परोसा गया है जिसमें प्यार, रोमांस और कॉमेडी का तडका है। साकेत चौधरी के निर्देशन में बनी फिल्म शादी के साइड इफेक्ट्स 2006 में रिलीज हुई फिल्म प्यार के साइड इफेक्ट्स की सीक्वल है।
द डर्टी पिक्चर के बाद एकता कपूर कैंप में अपना खास मुकाम बना चुकी विद्या बालन इस बार एकता की पहली पसंद थीं। साकेत चौधरी ने विद्या को साइन किया, तब तक उन्होंने हीरो के किरदार में किसी का नाम तक नहीं सोचा था। विद्या को कहानी और अपना किरदार इतना पसंद आया कि उन्होंने अपनी शादी के चंद दिनों बाद इस फिल्म की शूटिंग शुरू कर दी। फिल्म विद्या बालन और फरहान अख्तर एक शादी शुदा जोडे की भूमिका में है। फिल्म में मैरिड कपल की स्टोरी को आम जिंदगी से जोडकर दिखाया गया है और ये आपके अपने जिंदगी का हिस्सा लगेगी।
कहानी - सिड (फरहान अख्तर) और तृषा (विद्या बालन) का प्यार अब शादी में तब्दील हो चुका है। सिड और तृषा दोनों खट्टे- मिठे अनुभव के साथ शादीशुदा जिंदगी जी रहे है। शादी के कुछ समय बाद तृषा की मां बनने की ख्वाहिश जागती है। वह सिड से बात करती है लेकिन वह इसके राजी नहीं होता। सिड अपने करियर पर फोकस करना चाहता है। एक दिन अचानक से सिड फैमिली बढाने के बारें मे सोचता है। उसे लगता है ज्यादा देर करने के बाद कहीं उसे मुसीबतों का सामना न करना पड जाए। दोनों परिवार बढाने का फैसला करते है। तृषा अब एक नन्ही बेबी की मां बन चुकी है। यहीं आता है कहानी में टि्वस्ट। घर में नन्हें मेहमान के आने के बाद दोनों के रिश्ते में प्यार के बजाय कडवाहट होने लगती है।
दूसरी और तृषा की मां (रति अग्निहोत्री) सिड को अपने बडे दामाद रणवीर (राम कपूर) से कुछ सीखने की सलाह देती है। ऎसे में परिस्थितियां उस वक्त कुछ अलग ही हो जाती हैं जब सिड रणवीर जैसा बनने की कोशिश करने में लग जाता है। दरअसल, रणवीर की हैपी मैरिज लाइफ का एक ही फंडा है, झूठ बोलकर फैमिली को खुश रखा जाए। सिड रणवीर जैसा बनने की कोशिश करता है। सिड व तृषा की लाइफ में आए कई टि्वस्ट के साथ फिल्म एंड तक पहुंचती है। सिड और तृषा की लाइफ में फिर से खुशियां आती है या नहीं। इसके लिए फिल्म देखनी होगी।
निर्देशन : इंटरवल के बाद सिड-तृषा के किरदार से दूर होते गए। यहीं फिल्म कमजोर पडती नजर आती है। सिड और तृषा की आपसी नोक-झोंक से सीन अच्छे बन पडे हैं। सिड और तृषा के बीच फिल्माए कई सीन अच्छे हैं। यदि साकेत एडिटिंग टेबल पर फिल्म पर थोडी कैंची चलाने की हिम्मत करते तो फिल्म को और दमदार बना सकते थे।
अभिनय : विद्या बालन की अदाकारी बेमिसाल है और तृषा के किरदार में विद्या ने जान डाल दिया है। फरहान अख्तर भी अपने रोल में फिट बैठे है लेकिन विद्या अदाकारी के मामले में उनसे आगे निकल गई है और फिल्म में उनपर हावी रही है। राम कपूर, ईला अरूण का अभिनय औसत रहा है जिन्होंने अपने किरदार को बेहतर ढंग से निभाया है। प्यार, झगडा, रूठना-मनाना, शादी के बाद के इन सभी एहसासों को सिने पर्दे पर विद्या और फरहान की कोशिश सराहनीय है।