नीतीश जी वृंदावन चल जाईं, अर्जुन के साथ बा कृष्ण! – तेजप्रताप के बिंदास बाण

आलोक सिंह
आलोक सिंह

बिहार में जवन चुनाव अबहीं एलानल नइखे, उहमें तेजप्रताप यादव पहिलहीं ‘जनता दरबार’ लगावे, ‘बयान दरबार’ चला देले बाड़ें। ऊ का कहत बाड़ें? भाजपा सपना देखत बा, आ नीतीश कुमार बेहोशी में बाड़ें!

नई बॉल, पुराना ड्रामा – गिल बोले, ये गेंद तो पहले ही खेली गई है

नीतीश के ‘वृंदावन टिकट’ – आश्रम भेजे के सुझाव!

तेजप्रताप के कहना बा — “नीतीश जी अब राजनीति छोड़ के वृंदावन में डुबकी लगाईं, हमरा गुरुदेव के आश्रम में ठंडी बयार खाईं!”
का लाइन मारले बाड़ें भैया! कहला कि जे अर्जुन (तेजस्वी) बा, ओकरा साथे कृष्ण (खुद) हमेशा रहिहें।

भाजपा पर चुटकी – ‘घिसल चेहरा आ नो क्वालिटी!’

तेजप्रताप भाजपा के नेता लोग के पुरनका कैसेट बतावत कहले — “सब घिसा-पिटा चेहरा बा, कौनो क्वालिटी नइखे! अपराधी लोग शासन चला रहल बा!”

तेजस्वी यादव के घर पर फायरिंग के जिक्र करत कहलन कि ई ‘महाजंगलराज’ के नमूना ह।

तेजस्वी खातिर भावुकता – “हमेशा रही भाई के साथ”

तेजप्रताप पार्टी से निकाले गइलें लेकिन तेजस्वी खातिर उनका दिल अबहियों धड़कत बा।
“तेजस्वी छोट भाई ह, जेकरा खिलाफ साजिश हो रहल बा, बाकिर हम ओकरा साथ हमेशा खड़ा रहब!”
ई कह के भाई वाला इमोशनल कार्ड भी खेल देले बाड़ें।

चुनाव लड़े के प्लान पर चुप्पी – “थोड़ा सस्पेंस रहल ठीक बा”

जब चुनाव लड़े के पूछाइल, त तेजप्रताप मुस्कुरा के कहले — “लड़ीब त जरूर लड़ीब… बाकिर कहां से, आ कइसे – उ जान के मजा बिगड़ जाई!”

अब जनता बोले – “का बात बा, नेता से जादे अब फिलिम स्टार वाला सस्पेंस ह!”

जनता दरबार के कहानी – “अपराध बा हर गली में”

तेजप्रताप के जनता दरबार में लोग के सबसे बड़ा समस्या अपराध बा। कहले – “लोग रोवत आवेला, कवनो के बेटी के छेड़ाइल बा, त कवनो के जमीन छिनाइल बा।”
मने बिहार में कानून ना, लाठी के राज बा – अइसन टोन में बात।

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