
मध्यप्रदेश में हुए 9 नगरीय निकायों के उपचुनाव में जनता ने अपना मूड कुछ अलग ही दिखाया है। 6 वार्ड बीजेपी की झोली में गए हैं, तो कांग्रेस ने 3 पर कब्जा जमाया। यानी खेल हुआ ‘तीन पत्ती’ लेकिन दोनों ही पार्टियों ने इसे ‘चौका’ बताया।
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हीरा लाल की ‘बिना-वोट’ वाली जीत: कोई आए ही नहीं!
पन्ना जिले के ककहरी में बीजेपी के हीरा लाल आदिवासी ने जीत का ऐसा रास्ता पकड़ा कि किसी ने सामने खड़े होने की भी हिम्मत नहीं की। निर्विरोध जीत दर्ज कर हीरा लाल ने साबित कर दिया कि राजनीति में अब मुकाबला नहीं, ‘अनाउंसमेंट’ ज्यादा काम आता है।
कांग्रेस की तिकड़ी: बिछिया, खांड और सांवेर में जमी नींव
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मंडला के बिछिया (वार्ड 13) में कांग्रेस की जानकी बाई धुर्वे ने पार्षद की सीट पक्की की।
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शहडोल के खांड (वार्ड 8) में शशिधर त्रिपाठी ने कमल को मात दी।
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इंदौर के सांवेर (वार्ड 7) में कांग्रेस की हसीना ने सियासी हवा में नया रंग भरा।
कांग्रेस ने अपनी जीत पर कहा कि यह जनता की समझदारी है, हालांकि बीजेपी ने इसे ‘लोकल इमोशन’ बताया।
भाजपा का छक्का: छोटे वार्ड, बड़ी जीत
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भीकनगांव (खरगोन – वार्ड 5): कमलेश कौशल ने 205 वोट लेकर जीत पक्की की।
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सिवनी (वार्ड 11): निधि ने दिखाया कि ‘लोकल’ भी ग्लोबल हो सकता है।
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छिंदवाड़ा (न्यूटन चिखली – वार्ड 4): निकिता बरखे की जीत ने फिर से विकास की बात छेड़ी।
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भोपाल (बैरसिया – वार्ड 7): शाइस्ता सुल्तान की जीत ने राजधानी में पार्टी की पकड़ बनाए रखी।
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इंदौर (गौतमपुरा – वार्ड 15): शंकलाल ने कहा “वॉर्ड मेरा, काम मेरा, जीत भी मेरी।”
खास वजह से हुआ उपचुनाव: पूनम की चूक, चुनाव का मौका
खरगोन के वार्ड 5 में कांग्रेस की पूनम अमित जयसवाल को इसलिए हटाया गया क्योंकि उन्होंने अपने क्रिमिनल रिकॉर्ड की जानकारी फॉर्म में नहीं दी थी। फिर क्या था — राजनीति में जो गलती करता है, वह कुर्सी से उतरता है!
मध्यप्रदेश के निकाय उपचुनाव भले छोटे स्तर पर होते हैं, लेकिन ये जमीन से जनता के मूड का इशारा साफ कर देते हैं। यहां ‘वोट’ कम और ‘वॉर्ड’ ज्यादा बोले। अब देखना है कि आने वाले विधानसभा चुनावों में यह ‘वॉर्ड-वॉर’ किस ओर झुकेगा।
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