“वैष्णो ढाबा हो, तो मटन न हो!” नेमप्लेट शुद्धि मिशन में जुटे मंत्रीजी

गौरव त्रिपाठी
गौरव त्रिपाठी

कभी ढाबों में स्वाद देखा जाता था, अब वहां नेमप्लेट का आस्था टेस्ट हो रहा है। यूपी सरकार के मंत्री कपिल देव अग्रवाल ने कहा कि ‘वैष्णो ढाबा’ में अगर बटर चिकन परोसा जाए, तो यह धार्मिक धोखा है और सामाजिक सौहार्द में दरार डालता है।

मंत्रीजी के मुताबिक, “किसी को ढाबा खोलने या मटन बनाने से नहीं रोका जा रहा, लेकिन कृपया नाम सही लगाइए। ‘दुर्गा ढाबा’ में बिरयानी? यह भक्तों के पेट में भी चोट करता है।”

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कांवड़ यात्रा है आस्था का सफर, रास्ते में भ्रम नहीं चाहिए

मंत्री ने साफ़ कहा कि ये कोई मुस्लिम विरोधी बात नहीं है, ये केवल धार्मिक पारदर्शिता की मांग है। कांवड़ यात्रा की पवित्रता बनी रहनी चाहिए — रास्ते में कहीं ‘शुद्ध सात्विक’ नाम वाला ढाबा हो और प्लेट में ‘कोरमा’ निकल आए, तो श्रद्धालु का विश्वास हिल सकता है।

“जो धर्म का नाम लेकर मांसाहार परोसते हैं, वो समाज में भ्रम फैला रहे हैं,” मंत्रीजी बोले।

‘महिला मैराथन’ और राष्ट्रनिर्माण: किचन से संसद तक बेटियों की दौड़

चंदौसी में अंतरराष्ट्रीय वैश्य महासम्मेलन के तहत ‘युवा सशक्त महिला मैराथन’ में मंत्री कपिल देव अग्रवाल ने जोर देकर कहा कि अब यूपी की बेटियां रसोई से निकलकर PAC और पुलिस लाइन तक पहुंच रही हैं

उन्होंने बताया,“बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अब सिर्फ नारा नहीं है, ये अब नौकरी की तैयारी है।”

सपा पर ताना: नफरत की दुकान पहले चलती थी, अब शांति का ठेला है

मंत्री ने सपा पर भी चुटकी ली, कहा कि जब से योगी सरकार आई है, तब से न दंगा हुआ, न दहीबड़े में हड्डी मिली।

“सपा के ज़माने में नफरत बिकती थी, अब गंगाजल से नेमप्लेट धुल रहे हैं।”

बिहार चुनाव की थाली में भी मोदी-योगी का तड़का

उत्तर प्रदेश के पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने बिहार का दौरा किया और साफ कहा कि वहां की जनता अब ‘घोषणाओं’ की चाशनी नहीं, ठोस योजनाओं की पूड़ी चाहती है।

उन्होंने कांग्रेस की सैनिटरी पैड योजना पर कहा:

“अब जनता को समझ आ गया है कि कांग्रेस पैड देगी, पर पैकेज नहीं देगी। जनता अब केवल मोदी-योगी की ‘थाली’ से ही तृप्त होती है।”

सवाल अब सीधा है—क्या ‘धार्मिक भावनाएं’ अब ढाबों के बोर्ड से तय होंगी?

मूल मुद्दा यही है—क्या बिरयानी वैष्णो नाम के नीचे परोसी जाए तो धर्म संकट खड़ा होता है?
या ये सिर्फ चुनावी कांवड़ यात्रा है, जिसमें हर ढाबा अब राजनीतिक टोल नाका बन चुका है?

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