
पाकिस्तान पीपल्स पार्टी के चेयरमैन और पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ज़रदारी ने इंटरव्यू में कहा कि उन्हें नहीं पता मसूद अजहर कहां हैं, और शायद वो अफ़गानिस्तान में हो सकते हैं। हां, बिल्कुल वैसे ही जैसे दूध में नींबू गिर जाए और दूध बोले: “मुझे क्या पता मैं खट्टा कब हुआ?”
बिलावल की यह मासूमियत ऐसे समय पर आई है जब भारत और पाकिस्तान के बीच आतंकवाद को लेकर भरोसे की दीवार वैसे ही हिल रही है जैसे कराची में बिजली का तार।
कुमकुम आदर्श नहीं रहीं – कथक की एक उजली ज्योति बुझ गई
“अगर बातचीत होगी, तो सब मुमकिन है!” – भुट्टो की बॉडी लैंग्वेज
बिलावल ने कहा कि अगर भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापक वार्ता होती है और उसमें आतंकवाद पर भी बात होती है, तो पाकिस्तान को हाफ़िज़ सईद और मसूद अजहर जैसे नामों पर “आपत्ति नहीं” होगी।
मतलब – “तुम बस हमें बातों में लगाओ, हम आपको सब कुछ दे देंगे… सिवाय सच्चाई के!”
मसूद अजहर – भारत की ‘मोस्ट वॉन्टेड’ लिस्ट का VIP
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2001: श्रीनगर विधानसभा हमले में 38 मौतें
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2001: भारतीय संसद पर हमला
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और जैश-ए-मोहम्मद के ज़रिए आतंक की कई और फायरब्रांड किस्सागोई
इस आदमी को ढूंढ़ने की जरूरत नहीं है, बस ISI के फ्रेंड्स लिस्ट में देखिए!
“हमारा क्या लेना-देना?”
पाकिस्तान की विदेश नीति अब WhatsApp स्टेटस की तरह हो गई है – “Seen but not Delivered”।
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मसूद अजहर: गायब!
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हाफ़िज़ सईद: गायब (जेल में भी VIP ट्रीटमेंट)
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ज़िम्मेदारी: और भी गायब!
इंटरव्यू या इनोसेंस एक्टिंग क्लास?
बिलावल भुट्टो का इंटरव्यू ये साबित करता है कि पाकिस्तान के पास या तो GPS नहीं है या ज़मीर। दोनों ही केस में, भारत को ज़मीनी हकीकत पर ही भरोसा करना होगा, क्योकि इंटरव्यू से सिर्फ TRP बढ़ती है, आतंकवाद नहीं घटता।
अमा सुनिए तो सही- आपकी थाली में फैट की बारात, फाइबर भागा गाँव