
रेडिट पर वायरल एक पोस्ट ने ऐसा तूफान ला दिया है कि इंटरनेट इमोशन और इरिटेशन के झूले में झूल रहा है। नवी मुंबई में एक नवजात बच्ची टोकरी में रखी मिली, और उसके साथ एक हाथ से लिखा माफीनामा भी पड़ा मिला।
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‘हमें खेद है’ – ये लेटर है या भावना-फोड़ बम?
तस्वीर में बच्ची चैन से सो रही थी – मानो उसे दुनिया की चिंता ही नहीं। लेकिन सामने पड़े लेटर में इतना भाव था कि लोगों की सांसें अटक गईं। उसमें लिखा था:
“हम मजबूर थे, लेकिन उम्मीद करते हैं कोई अच्छा इंसान उसे अपनाए। एक दिन हम उसे वापस ले जाएंगे। हमें खेद है।“
अब सवाल ये उठता है – ये मजबूरी थी या मोटिवेटेड इमोशनल ड्रामा?
इंटरनेट की अदालत: इमोशनल पब्लिक Vs. पेरेंटिंग फेलियर
जैसे ही पोस्ट वायरल हुई, लोगों के इमोशन इतने बह गए कि रेडिट का कमेंट सेक्शन बंद करना पड़ा।
एक यूजर ने लिखा:
“एक दिन वापस ले जाएंगे? क्यों? जब टैक्सपेयर्स उसे बड़ा कर देंगे?”
दूसरे ने तंज मारा:
“तुम कभी माता-पिता बनने के लायक नहीं थे, तुम सिर्फ बायोलॉजिकल फैक्ट्री हो।”
कमेंट सेक्शन हुआ लॉक – लेकिन गुस्सा अनलॉक!
पोस्ट पर 6,000 से ज्यादा अपवोट और 150+ कमेंट आए, लेकिन जैसे ही भावना उबलने लगी, पोस्टर ने कमेंट सेक्शन लॉक कर दिया।
सवाल: अगर आप उसे “कभी वापस लेने” की बात कर रहे हैं, तो पहले क्यों छोड़ा?
जवाब: पोस्टर unavailable है, भावना उपलब्ध है।
मॉडर्न पेरेंटिंग का नया ट्रेंड – बच्चा पहले छोड़ो, बाद में इमोशनल हो जाओ!
इस घटना ने भारत के डिजिटल समाज को दो हिस्सों में बांट दिया है:
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‘मजबूरी वाले माफीनामे’ समझने वाले
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‘माता-पिता की नैतिक जिम्मेदारी’ पर अड़े लोग
कुछ लोगों ने कहा –
“कम से कम उन्होंने जान बचाई”
दूसरों ने पलटकर कहा –
“और इमोशनल नोट क्यों छोड़ा? इंस्टाग्राम पोस्ट करना बाकी रह गया था क्या?”
ये पोस्ट सच है या सिर्फ वायरल, इसकी पुष्टि नहीं होती!
हेलो यूपी घटना की पुष्टि नहीं करता, क्योंकि यह सिर्फ वायरल Reddit पोस्ट पर आधारित है। लेकिन बात यहां फैक्ट की नहीं, फीलिंग की है – और इस पोस्ट ने इंटरनेट के जिगर में सेंध जरूर मारी है।
आप इस लेख को सेव करें, साझा करें और सोचें – क्या किसी दिन “वापस लेने” का वादा, जिम्मेदारी से भागने का नया नाम बन गया है?
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