“गाय पहले, पार्टी बाद में”: राजा ने छोड़ी बीजेपी, गाय ने नहीं छोड़ा उनका साथ

गौरव त्रिपाठी
गौरव त्रिपाठी

गोशामहल के विधायक और बीजेपी के वज्रस्वर नेता टी राजा सिंह ने 30 जून 2025 को राजनीति में वो भूचाल ला दिया, जिसे पार्टी हाईकमान शायद बैलेट पेपर में भी न चाहें।

गाय के लिए समर्पित, पोस्टों में भावुक और नेतृत्व से खफा — राजा सिंह ने पार्टी को जय श्री राम बोलकर विदा कर दी।

सियासत में ‘भाईचारा’ सिर्फ तब तक… जब तक कुर्सी चमक रही हो!

“गोरक्षा मेरी आत्मा है, राजनीति मेरा पेशा नहीं” – सिंह स्टाइल में विदाई

राजा सिंह के लिए गाय केवल एक जानवर नहीं, बल्कि जीवन का मर्म है। पार्टी ने भले ही उन्हें मंच पर लाउडस्पीकर दिया हो, पर जब गोरक्षा की बारी आई तो माइक ऑफ कर दिया। खुद ही माइक छोड़कर मैदान पकड़ लिया।

नेतृत्व पर आरोप: ‘राम नाम जपते हो, पर गाय की सुध नहीं लेते’

पत्र में टी राजा सिंह ने लिखा — “यह निर्णय कठिन था, लेकिन ज़रूरी था। कार्यकर्ता ठगा महसूस कर रहे हैं, और मैं सिर्फ अपनी नहीं, लाखों की आवाज़ हूं।”

उन्होंने हाईकमान से सीधे अपील की — “तेलंगाना बीजेपी तैयार है, पर कप्तान गलत चुनोगे तो मैच हारे बिना आउट हो जाओगे।”

नए प्रदेश अध्यक्ष से नाराज़गी: ‘गाय के मुद्दे को घास मत डालो’

एन. रामचंद्र राव को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने पर उनकी प्रतिक्रिया सीधी थी — “ये क्या भाई? गाय की बात छोड़कर पार्टी क्या अब चारा पार्टी बनने वाली है?”

बंडी संजय को इस्तीफ़ा भेजते हुए टी राजा ने बीजेपी को एक जोर का “पॉलिटिकल गोले” दे मारा।

बीजेपी के लिए झटका, विपक्ष के लिए चाय में शक्कर

टी राजा सिंह का इस्तीफ़ा बीजेपी के लिए उतना ही बड़ा है जितना कि चुनाव से पहले AC खराब हो जाना। उधर विपक्ष को मसाला मिल गया — “देखो देखो! अपने ही अब साथ नहीं दे रहे।”
राजनीतिक पंडितों ने इसे 2025 की सबसे “साउंड इफेक्ट वाली विदाई” कहा है।

राजनीति में लोग पद के लिए आते हैं, लेकिन राजा सिंह “गाय पद” के लिए आए थे। अब पार्टी चाहे जो कहे, पर सोशल मीडिया पर उनका नया स्लोगन तैयार है, “गाय मेरी गारंटी है, बाकी सब राजनीति!”

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