भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा 2025: पुरी से अहमदाबाद तक भक्ति की गूंज

अजमल शाह
अजमल शाह

अहमदाबाद में भगवान जगन्नाथ की 147वीं रथ यात्रा का शुभारंभ जमालपुर स्थित ऐतिहासिक मंदिर से हुआ। इस अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह परिवार सहित मंगला आरती में शामिल हुए और भगवान से आशीर्वाद लिया।

इसके बाद भगवान को पारंपरिक खिचड़ी भोग अर्पित किया गया। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने ‘पाहिंद विधि’ के अंतर्गत सोने की झाड़ू से मार्ग साफ कर रथ यात्रा की विधिवत शुरुआत की।

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यह यात्रा सुबह 6 बजे से शुरू होकर रात 8:30 बजे तक चलेगी।

पुरी: शाम 4 बजे से शुरू होगी  रथ खींचने की परंपरा

पुरी की रथ यात्रा भारत की सबसे ऐतिहासिक और प्रमुख यात्राओं में से एक है। 27 जून शुक्रवार, को भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के विशाल रथों को सजाया गया।

गजपति महाराज ने छेरा पन्हारा की रस्म निभाई, जिसमें वे सोने की झाड़ू से रथ की सफाई करते हैं। इसके बाद शाम 4 बजे से श्रद्धालु रथों को रस्सियों से खींचना शुरू करेंगे।

महिला शक्ति: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ थीम पर निकली विशेष रथ यात्रा

इस बार महिला श्रद्धालुओं ने भी नई पहल दिखाई। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ थीम पर आधारित महिला रथ यात्रा में हजारों महिलाओं ने हिस्सा लिया, जो भक्ति, समानता और संस्कृति का संदेश दे रही थी।

 रथ यात्रा 2025 का पूरा शेड्यूल

 तिथि आयोजन
27 जून (शुक्रवार) रथ यात्रा आरंभ – भगवान गुंडिचा मंदिर की ओर
1 जुलाई (मंगलवार) हेरा पंचमी – देवी लक्ष्मी का मिलन
4 जुलाई (शुक्रवार) संध्या दर्शन – विशेष दर्शन
5 जुलाई (शनिवार) बहुदा यात्रा – भगवानों की वापसी यात्रा
6 जुलाई (रविवार) सुना बेशा – भगवानों को सोने के आभूषणों से सजाया जाता है
7 जुलाई (सोमवार) अधरा पना – विशेष पेय का भोग
8 जुलाई (मंगलवार) नीलाद्रि विजय – भगवानों की मुख्य मंदिर में वापसी

पीएम मोदी की शुभकामनाएं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर रथ यात्रा की शुभकामनाएं दीं:

“भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के पावन अवसर पर सभी देशवासियों को ढेरों शुभकामनाएं। श्रद्धा और भक्ति का यह पर्व सबके जीवन में सुख, समृद्धि और उत्तम स्वास्थ्य लेकर आए। जय जगन्नाथ!”

समापन: श्रद्धा की डोर में बंधा भारत

पुरी से अहमदाबाद तक, भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा ने आस्था, परंपरा और एकता का अद्भुत प्रदर्शन किया। चाहे वह सोने की झाड़ू की परंपरा हो, खिचड़ी का भोग हो, या महिला रथ यात्रा — हर आयोजन ने भारत की संस्कृति को जीवंत कर दिया।

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