मस्क आया, नेटवर्क लाया! गांवों में उड़ने लगेगा स्पेस वाला इंटरनेट

राघवेन्द्र मिश्रा
राघवेन्द्र मिश्रा

अरबपति और आइडिया मशीन एलन मस्क ने आखिरकार भारत में स्टारलिंक को सफल लैंडिंग करा दी है। भारत सरकार ने उनकी सैटेलाइट इंटरनेट सेवा को GMPCS लाइसेंस दे दिया है। अब मस्क भाई गांवों-देहातों तक वो इंटरनेट पहुंचाएंगे, जिसे पाने के लिए अब तक लोग रूफटॉप डांस और पेड़ पर चढ़ने जैसी युगांतरकारी गतिविधियां कर रहे थे।

स्टारलिंक क्या है? कोई मंगल यान है क्या?

नहीं, यह मंगल यान नहीं — मंगल मिशन जैसा सपना है। स्टारलिंक, एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स का हिस्सा है, जो लो अर्थ ऑर्बिट में घूम रहे हजारों छोटे सैटेलाइट्स के जरिए इंटरनेट सेवा देता है। मकसद है — जहां जियो का टावर नहीं पहुंचता, वहां मस्क की कृपा पहुंचे।

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2021 की असफल प्री-बुकिंग से 2024 की सफल लाइसेंसिंग तक

2021 में स्टारलिंक ने भारत में प्री-बुकिंग शुरू की थी, लेकिन सरकार ने “नो एंट्री” का बोर्ड लगा दिया। अब वो बोर्ड हट गया है, और मस्क की इंटरनेट गाड़ी देश में घुस चुकी है। इस बार सरकार ने लाइसेंस पकड़ाया है, और मस्क ने फिर से रजिस्ट्रेशन चालू करने की तैयारी कर ली है।

जियो-एयरटेल से सीधी भिड़ंत या साझेदारी का जुगाड़?

भारत में स्टारलिंक को जियो और एयरटेल की वनवेब से मुकाबला करना होगा। लेकिन मस्क बाबू चालाक हैं — हार्डवेयर डिस्ट्रीब्यूशन में इन कंपनियों के साथ हाथ मिला लिया है। कहते हैं ना, “दुश्मनों से दोस्ती करना भी बिजनेस का हिस्सा है।”

कहां लगेगा नेटवर्क? जहां रोड नहीं, वहां इंटरनेट मिलेगा!

केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने खुद बताया — जहां न फाइबर केबल पहुंचा, न मोबाइल टावर, वहां अब सिर्फ मस्क के सैटेलाइट से जुड़ पाएगा देश का हर कोना। ऑनलाइन क्लास, हेल्थ चेकअप, UPI पेमेंट — सब होगा लाइव, बिना “नो नेटवर्क” की टेंशन के।

अभी रुको, कीमत सुन लो पहले!

अब तक सब सुन के लग रहा होगा — “वाह मस्क! आप तो भारत के असली मित्र हो!”
लेकिन ठहरिए, स्टारलिंक की सैटेलाइट किट और मंथली प्लान भारत के ब्रॉडबैंड रेट से काफी ऊंचे हैं। मतलब गांव में इंटरनेट तो मिलेगा, लेकिन शायद साथ में ईएमआई का तनाव भी।

स्पेक्ट्रम विवाद: इंटरनेट हवा में, पर नीतियां अभी ज़मीन पर

स्टारलिंक को लाइसेंस तो मिल गया है, लेकिन स्पेक्ट्रम आवंटन पर अभी भी टक्कर जारी है। जियो-एयरटेल चाहते हैं नीलामी।
मस्क कह रहे — “भैया, सीधा दो! हम इन्वेस्टमेंट लाए हैं।”
जब तक ये झगड़ा सुलझेगा, इंटरनेट सेवा हवा में लटकी ही रहेगी।

कौन होगा असली फायदा उठाने वाला?

जिन गांवों में आज भी नेट का मतलब 1.5G की यादें हैं, जहां मोबाइल नेटवर्क खिड़की से बाहर लटकाने पर ही आता है, वहां स्टारलिंक Game Changer साबित हो सकता है। डिजिटल इंडिया अब सच में इंडिया के हर कोने तक पहुंचने वाला है — बशर्ते कीमत जेब को न जला दे।

मस्क आए, इंटरनेट उड़ाए, लेकिन जेब ने कहा “ठहरो!”

एलन मस्क भारत में डिजिटल क्रांति का नया चैप्टर लेकर आए हैं। स्टारलिंक की एंट्री ने टेक्नोलॉजी के मोर्चे पर उम्मीदें बढ़ा दी हैं। लेकिन असली सवाल है — क्या यह सेवा आम भारतीय की पहुंच में आएगी, या सिर्फ एक प्रिमियम सपना बनकर रह जाएगी?

अब देखना है कि क्या मस्क गांवों में भी Netflix 4K चलवा पाएंगे, या फिर लोग कहेंगे — “भाई, जियो ही ठीक है!”

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