डी गुकेश बनाम मैग्नस कार्लसन – जीत, गुस्सा और इतिहास

पदमपति शर्मा
पदमपति शर्मा

भारत के 19 वर्षीय ग्रैंडमास्टर डी गुकेश ने नॉर्वे चेस 2025 के छठे दौर में इतिहास रच दिया। उन्होंने पहली बार दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी मैग्नस कार्लसन को क्लासिकल शतरंज मुकाबले में शिकस्त दी। यह जीत सिर्फ एक मुकाबले की नहीं, बल्कि भारत के युवा सितारे के आत्मविश्वास और परिपक्वता की भी कहानी है।

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रणनीति, धैर्य और एक बड़ी चूक

शुरुआत में कार्लसन थोड़ी बढ़त में दिखाई दिए, लेकिन गुकेश ने धैर्य, सटीकता और शांत मन से खेल को संतुलन में रखा। जैसे-जैसे खेल समय के दबाव में आया, कार्लसन ने एक बड़ी गलती की – और यही मौका गुकेश ने हाथ से नहीं जाने दिया। इस चूक ने मैच का रुख पलट दिया।

गुस्से में कार्लसन, चेस बोर्ड पर मारा मुक्का

मैच के अंत में हारे हुए कार्लसन अपना गुस्सा काबू नहीं रख सके और गुस्से में चेस बोर्ड पर मुक्का मार बैठे, जिससे मोहरे बिखर गए। यह दृश्य देखकर गुकेश और वहां मौजूद सभी दर्शक चौंक गए। यह घटना कैमरे में कैद हो गई और सोशल मीडिया पर वायरल हो गई।

सोशल मीडिया में हड़कंप, खेल भावना पर बहस

कुछ देर बाद कार्लसन को अपनी गलती का अहसास हुआ और उन्होंने गुकेश से माफी मांगी, जिससे माहौल थोड़ा सहज हो गया।

गुकेश के लिए एक नया मुकाम

यह जीत गुकेश के करियर में मील का पत्थर है। उन्होंने सिर्फ एक महान खिलाड़ी को हराया नहीं, बल्कि साबित कर दिया कि वह अब विश्व स्तर के खिताब के लिए असली दावेदार हैं। इससे पहले क्लासिकल शतरंज में केवल आर. प्रज्ञानानंद ही कार्लसन को हरा सके थे।

कार्लसन की हार और उसकी मानवीय झलक

मैग्नस कार्लसन की यह प्रतिक्रिया एक इंसानी पक्ष को भी उजागर करती है – हार कभी भी आसान नहीं होती, खासकर जब कोई खिलाड़ी हमेशा जीत का अभ्यस्त हो।

नॉर्वे चेस 2025 का यह मुकाबला केवल एक खेल नहीं था – यह धैर्य, परिपक्वता, और भावना का संगम था। डी गुकेश की जीत और कार्लसन की प्रतिक्रिया आने वाले समय में भी शतरंज प्रेमियों के बीच चर्चा का विषय बनी रहेगी।

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