
रणनीति से वार हुआ। पहलगाम हमले के बाद भारत की प्रतिक्रिया न सिर्फ सैन्य थी, बल्कि आर्थिक थी — और यही बना “ऑपरेशन सिंदूर” एक ऐतिहासिक मोड़।
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बिना युद्ध के लड़ाई: सैन्य कूटनीति का नया युग
पहलगाम में भारतीय जवानों पर हुए कायराना हमले के बाद भारत ने ऐसा जवाब दिया, जिसने दुनिया को सोचने पर मजबूर कर दिया। कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं, कोई युद्ध की घोषणा नहीं — सिर्फ कार्रवाई, वो भी ऐसी जो पाकिस्तान की रीढ़ तक हिला दे।
पाकिस्तान को 7,900 करोड़ की सीधी चोट
भारत ने जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान के दो F-16 और दो JF-17 लड़ाकू विमानों के साथ-साथ एक महंगा AWACS विमान तबाह कर दिया। सिर्फ सैन्य नहीं, यह आर्थिक युद्ध था — जिसमें पाकिस्तान को 7,900 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ।
डिफेंस के ज़रिए इकोनॉमिक डॉमिनेशन
भारत की रणनीति साफ़ थी — दुश्मन की अर्थव्यवस्था को उसकी कमजोर नस पर चोट देना। IMF और चीन से कर्ज़ में डूबे पाकिस्तान के लिए यह नुकसान सिर्फ रकम नहीं, बल्कि उसकी सैन्य साख पर पड़ा ऐसा दाग था, जो शायद कभी न मिटे।
भारत की कूटनीतिक जीत
इस कार्रवाई के बाद न UN में हलचल हुई, न अमेरिका ने टोकाटाक की। भारत की शांतिपूर्ण और जिम्मेदार छवि ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समर्थन पाया। यह भारत की सॉफ्ट पावर की बड़ी जीत थी।
साइबर वॉर में भी भारत आगे
पाकिस्तान ने जब सोशल मीडिया के जरिए झूठ फैलाने की कोशिश की, भारत ने डिजिटल मोर्चे पर भी धैर्य और स्पष्टता से जवाब दिया। फर्जी खबरों की जगह तथ्य और रणनीति ने ली।
बलिदान जो भूलना मुमकिन नहीं
ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के पीछे 23 जवानों का बलिदान है। यह विजय सिर्फ सैन्य नहीं, राष्ट्रीय आत्मबल की जीत है। यह हमें याद दिलाता है कि आज का भारत सहन नहीं करता — सोच-समझकर वार करता है।
भारत अब वार की टाइमिंग चुनता है
भारत ने एक नई परिभाषा दी है युद्ध की — जहां मिसाइल से ज़्यादा महत्वपूर्ण होती है रणनीति, और जहां जीत सिर्फ ज़मीन पर नहीं, दुश्मन की अर्थव्यवस्था में लिखी जाती है।
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