
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पार्टी नेता लालचंद गौतम को लेकर स्पष्टीकरण दिया। यह बयान उस विवाद के संदर्भ में आया जिसमें बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर की आधी तस्वीर को हटाकर उसमें अखिलेश यादव की छवि जोड़ दी गई थी।
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इस पर अखिलेश यादव ने खुलकर कहा:
“मैंने लालचंद गौतम को समझाया है कि भविष्य में मेरी तस्वीर किसी भी महापुरुष की तस्वीर के साथ इस तरह नहीं लगाई जाएगी।”
क्या था मामला?
हाल ही में लखनऊ में एक पोस्टर वायरल हुआ जिसमें बाबा साहब अंबेडकर की तस्वीर का एक हिस्सा हटाकर उसकी जगह अखिलेश यादव की फोटो लगाई गई थी। यह पोस्टर सपा लोहिया वाहिनी के कुछ नेताओं द्वारा लगाया गया था।
इस पर SC/ST आयोग ने सख्त रुख अपनाते हुए FIR के आदेश दे दिए थे। इसके बाद इस मुद्दे पर राजनीतिक माहौल गरमा गया।
प्रेस कॉन्फ्रेंस की मुख्य बातें
अखिलेश ने कहा कि लालचंद से यह गलती हो गई है, लेकिन अब उन्होंने उसे समझा दिया है कि आगे से ऐसा न करें। उन्होंने दोहराया कि अब से किसी भी महापुरुष की छवि के साथ राजनीतिक प्रयोग नहीं किया जाएगा। अखिलेश यादव ने सवाल उठाया, “क्या भारतीय जनता पार्टी अपने नेताओं को भी ऐसे मामलों में समझाएगी?” उनका इशारा उन पोस्टरों और बयानों की ओर था जो भाजपा की ओर से अक्सर विवाद में रहते हैं।
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इस पूरे घटनाक्रम ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या राजनीतिक दल महापुरुषों की छवि का उपयोग प्रचार के लिए कर सकते हैं?
समाजवादी पार्टी ने भले ही अपनी गलती मान ली हो, लेकिन अब राजनीतिक नैतिकता और सार्वजनिक प्रतीकों के सम्मान को लेकर नई चर्चा शुरू हो गई है।