
लखनऊ के मामा चौराहा स्थित पंजाब नेशनल बैंक (PNB) में एक बुजुर्ग महिला जब अपनी 12 FD तुड़वाकर 1.13 करोड़ रुपये ट्रांसफर कराने पहुंचीं, तो किसी को अंदाज़ा नहीं था कि वो एक बड़े cyber scam के बेहद करीब पहुंच चुकी हैं।
लेकिन यहीं कहानी बदली— बैंककर्मियों की सूझबूझ और धैर्य ने ठगों की पूरी स्क्रिप्ट फेल कर दी।
CBI बनकर ठगों का खौफ वाला कॉल
11 दिसंबर को महिला को एक अज्ञात नंबर से कॉल आया। कॉलर ने खुद को CBI अधिकारी बताया और कहा—
“आपका परिवार आतंकी फंडिंग केस में जांच के घेरे में है।”
डर का ऐसा माहौल बनाया गया कि आधार कार्ड मांगा गया। बैंक डिटेल्स ली गईं। और कहा गया कि सारी जमा पूंजी जांच के लिए ट्रांसफर करनी होगी। भरोसा दिलाया गया कि जांच के बाद पैसा वापस मिल जाएगा।
बैंककर्मियों को क्यों लगा शक?
जब महिला बिना ठोस वजह बताए FD तुड़वाने पर अड़ी रहीं— ब्रांच मैनेजर ने सवाल पूछे। वैकल्पिक स्कीम सुझाई। लेकिन महिला लगातार दबाव में दिखीं। सबसे बड़ा red flag तब दिखा, जब जिस अकाउंट में पैसा भेजा जाना था, वह किसी फर्म का अकाउंट निकला।
बेटे से बात ने खोल दी परतें
PNB रिकॉर्ड से महिला के बेटे का नंबर निकाला गया। बेटे ने बताया— कार खरीदने के लिए कुछ पैसे चाहिए। लेकिन 1.13 करोड़ जैसी कोई जरूरत नहीं। यहीं से बैंक को पूरा शक पक्का हो गया।

मोबाइल से खुली ठगों की पोल
डिटेल वैरिफिकेशन के बहाने महिला का मोबाइल चेक किया गया— WhatsApp पर अज्ञात नंबर। Voice note. Fake documents और वर्दीधारी अफसरों की वीडियो कॉल। चार दिन तक महिला को psychological pressure में रखा गया था।
पुलिस बुलाई गई, ठगी टली
पुलिस पूछताछ में सामने आया— आधार का नाम लेकर मनी लॉन्ड्रिंग का झूठ। 50 करोड़ आतंकी फंडिंग की फर्जी कहानी। परिवार को नुकसान पहुंचाने की धमकी। लेकिन तब तक देर नहीं हुई थी— 1.13 करोड़ की जिंदगी भर की कमाई सुरक्षित थी।
डिजिटल अरेस्ट: डर ही सबसे बड़ा हथियार
यह केस बताता है— ठग पैसे से पहले डर ट्रांसफर कराते हैं। वर्दी, कानून और वीडियो कॉल सिर्फ tools हैं। सवाल एक ही है— फोन पर आई धमकी पर भरोसा क्यों?
पहले CBI दरवाज़े पर आती थी, अब WhatsApp कॉल पर आती है। और डर इतना कि FD भी खुद चलकर बैंक पहुंच जाए।
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