
अरावली हिल्स, जिसे भारत की सबसे पुरानी पर्वत श्रृंखलाओं में गिना जाता है, एक बार फिर चर्चा के केंद्र में है। सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश—जिसमें 100 मीटर से ऊंची पहाड़ियों को ही अरावली का हिस्सा मानने की बात कही गई—ने पर्यावरण एक्सपर्ट्स और एक्टिविस्ट्स की चिंता बढ़ा दी है।
कई विशेषज्ञों का दावा है कि अरावली रेंज की 90% से ज्यादा पहाड़ियां 100 मीटर से कम ऊंची हैं, ऐसे में यह फैसला उनके अस्तित्व पर सवाल खड़े करता है।
पहाड़ अब ऊंचाई के सर्टिफिकेट से पहचाने जाएंगे?
Aravalli Debate: अब केंद्र सरकार भी सामने आई
अरावली को लेकर मचे शोर-शराबे के बीच अब केंद्र सरकार का ऑफिशियल स्टैंड सामने आ गया है। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने साफ शब्दों में कहा कि केंद्र सरकार अरावली के संरक्षण को लेकर कतई लापरवाह नहीं है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में Green Aravalli Movement, Green India Mission जैसी पहलों के जरिए देश में sustainable development को मजबूती मिली है।
ग्रीन इंडिया बनाम ग्रीन सिग्नल? मंत्री का पलटवार
खनन गतिविधियों को लेकर उठ रहे आरोपों पर भूपेंद्र यादव ने विपक्ष और आलोचकों को सीधा जवाब दिया।
उन्होंने कहा:
“कुछ वरिष्ठ नेता भ्रामक ट्वीट्स कर रहे हैं। NCR क्षेत्र में खनन पूरी तरह प्रतिबंधित है, ऐसे में नए खनन का सवाल ही नहीं उठता।”
यानी सरकार का दावा है— No Mining, No Compromise.
सुप्रीम कोर्ट का निर्देश क्या कहता है?
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने भी दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात सरकारों को अरावली श्रृंखला के संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।

सरकार का फोकस सिर्फ पहाड़ियों तक सीमित नहीं, बल्कि Reforestation, Water conservation, Climate resilience पर भी है।
24 से 96: Wetlands पर भी सरकार का जोर
भूपेंद्र यादव ने एक अहम आंकड़ा साझा करते हुए बताया कि 2014 में भारत में सिर्फ 24 Ramsar Sites थीं अब इनकी संख्या बढ़कर 96 हो चुकी है।
सरकार इसे पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बड़ी उपलब्धि मान रही है।
जहां पहाड़ियों की ऊंचाई पर बहस है, वहां वेटलैंड्स की गिनती रिकॉर्ड बना रही है।
क्या सच में खतरे में है अरावली?
एक तरफ एक्सपर्ट्स 100 मीटर नियम को लेकर चिंता जता रहे हैं, दूसरी तरफ केंद्र सरकार कह रही है— “Protection जारी है, panic की जरूरत नहीं।”
अब नजर इस बात पर रहेगी कि राज्यों का अमल कैसा रहता है। कोर्ट के आदेश की व्याख्या कैसे होती है। और अरावली सिर्फ फाइलों में नहीं, जमीन पर कितनी सुरक्षित रहती है।
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