किताबों पर ‘कानून व्यवस्था’! पूर्व DGP प्रशांत कुमार बने शिक्षा आयोग अध्यक्ष

अजमल शाह
अजमल शाह

उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग को नया अध्यक्ष मिल गया है और यह नाम प्रशासनिक गलियारों में खास चर्चा में है। 1990 बैच के रिटायर्ड IPS अधिकारी और पूर्व DGP प्रशांत कुमार को उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग का नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।

दिलचस्प बात यह है कि प्रशांत कुमार उच्च और माध्यमिक—दोनों शिक्षा आयोगों के अध्यक्ष होंगे। उनका कार्यकाल 3 साल का रहेगा।

From Crime Control to Chalk & Classroom

प्रशांत कुमार वही अफसर हैं, जिनका नाम सुनते ही माफिया और अपराधी फाइल बंद समझ लेते थे। अब वही अफसर भर्ती सिस्टम, चयन प्रक्रिया और शिक्षा सुधार की जिम्मेदारी संभालेंगे।

राजनीतिक हलकों में इसे योगी सरकार का “Strong Administrator for Clean Education System” मॉडल माना जा रहा है।

DGP कार्यकाल: माफिया पर भारी, सिस्टम पर सख्त

डीजीपी के रूप में 14 महीने का कार्यकाल प्रशांत कुमार के करियर का सबसे आक्रामक और निर्णायक दौर माना जाता है। मुख्तार अंसारी, अतीक अहमद ✔ उनके गैंग और नेटवर्क इन सबकी कमर तोड़ने वाली कार्रवाई उन्हीं के कार्यकाल में देखने को मिली।

Mahakumbh to Ram Mandir: Policing with Precision

प्रशांत कुमार ने महाकुंभ- राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह जैसे विशाल आयोजनों में पुलिस प्रबंधन और आतिथ्य व्यवस्था की ऐसी मिसाल पेश की, जिसे आज भी प्रशासनिक केस-स्टडी के तौर पर देखा जाता है।

Western UP से Lucknow तक भरोसे का सफर

भाजपा सरकार के पहले कार्यकाल में मेरठ जोन के ADG रहते हुए उन्होंने पश्चिमी यूपी के कई कुख्यात अपराधियों का सफाया किया। यही वजह रही कि सीएम योगी आदित्यनाथ ने उन्हें ADG Law & आर्डर और फिर 31 जनवरी 2024 को DGP बनाया।

अब वही भरोसा शिक्षा व्यवस्था में लगाया गया है।

Education System में ‘Zero Tolerance’ Signal

विशेषज्ञों का मानना है कि प्रशांत कुमार की नियुक्ति यह साफ संकेत देती है कि सरकार भर्ती घोटालों, चयन में अनियमितता और सिस्टम लीक पर Zero Tolerance नीति अपनाने जा रही है।

यानी अब शिक्षा आयोग में भी संदेश साफ है — “Rule Book चलेगी, सिफारिश नहीं।”

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