
ओडिशा की राजनीति में एक ऐसा फैसला आया है जो हेडलाइन से ज्यादा संदेश देता है। पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान Leader of Opposition नवीन पटनायक ने साफ़ किया है कि वह नेता प्रतिपक्ष के लिए हाल ही में बढ़ाई गई सैलरी और भत्ते नहीं लेंगे।
यह बढ़ोतरी ओडिशा विधानसभा से पारित हुई थी, लेकिन नवीन पटनायक ने इसे व्यक्तिगत लाभ से ऊपर सामाजिक जिम्मेदारी का मामला बना दिया।
‘आनंद भवन’ से Assembly तक एक ही सोच
नवीन पटनायक ने कहा— “जिस तरह हमने कटक की पैतृक संपत्ति ‘आनंद भवन’ को दान करने का फैसला किया था, उसी भावना को आगे बढ़ाते हुए मैं बढ़ी हुई सैलरी और भत्ते छोड़ना चाहता हूं।”
सियासत में जहां फैसले अक्सर चुनावी होते हैं, वहां यह फैसला value-driven politics की याद दिलाता है।
CM Mohan Charan Majhi को लिखा पत्र
मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी को लिखे पत्र में नवीन पटनायक ने पिछले 25 वर्षों के जनसमर्थन के लिए आभार जताया। अपील की कि यह राशि राज्य के गरीब और वंचित वर्गों के कल्याण में लगाई जाए।
सत्ता हो या विपक्ष, सेवा की भूमिका नहीं बदलती—यही संदेश है।
Leader of Opposition के तौर पर नई भूमिका
2024 विधानसभा चुनावों के बाद 19 जून 2024 को नवीन पटनायक ने 17वीं ओडिशा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद संभाला था।

सरकार में न होते हुए भी उनका यह फैसला दिखाता है कि political credibility सिर्फ कुर्सी से नहीं, चरित्र से बनती है।
आज के दौर में “ना” कहना भी बड़ा बयान
आज की राजनीति में जहां MLA fund कम लगे तो सवाल Salary बढ़े तो जश्न।
वहां सैलरी छोड़ना अपने आप में counter-current politics है।
शायद यही वजह है कि नवीन पटनायक बोलते कम हैं, लेकिन उनके फैसले ज़्यादा सुनाई देते हैं।
यह फैसला सिर्फ पैसे का नहीं है, यह राजनीति में नैतिक पूंजी (moral capital) का निवेश है— जिसका रिटर्न चुनाव से पहले नहीं, इतिहास में मिलता है।
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