QUAD में भारत को नजरअंदाज कर ट्रंप ने बिगाड़े US-India Relations?

Jyoti Atmaram Ghag
Jyoti Atmaram Ghag

अमेरिका ने एक बार फिर ऐसा कदम उठाया है, जिसने India-US relations को असहज मोड़ पर ला खड़ा किया है.
राष्ट्रपति Donald Trump ने Critical Minerals Supply Chain Initiative का ऐलान किया, जिसमें QUAD सहयोगी जापान और ऑस्ट्रेलिया को शामिल किया गया—लेकिन भारत को नहीं. यानी दोस्ती मंच पर, लेकिन फैसलों की सूची से बाहर!

समझौते के बावजूद भारत को क्यों नजरअंदाज किया गया?

हैरानी की बात यह है कि हाल ही में US-India Critical and Emerging Technology Initiative (iCET) के तहत दोनों देशों के बीच critical minerals पर द्विपक्षीय सहयोग तय हुआ था. फिर भी ट्रंप प्रशासन ने भारत को इस नई पहल में प्राथमिकता नहीं दी—जिससे सवाल उठने लगे हैं कि क्या यह रणनीतिक भूल है या सोची-समझी अनदेखी?

QUAD में असंतुलन, भरोसे की परीक्षा

यह फैसला QUAD grouping के भीतर असंतुलन पैदा करता दिख रहा है. जहां जापान और ऑस्ट्रेलिया को जगह मिली, वहीं भारत बाहर रहा. इतना ही नहीं, इस पहल में South Korea, Singapore, Netherlands, UK, Israel और UAE जैसे देशों को भी शामिल किया गया है. यानी संदेश साफ है—भारत जरूरी है, लेकिन इस टेबल पर नहीं!

China Factor: असली मकसद क्या है?

इस पहल का आधिकारिक उद्देश्य China पर critical minerals की निर्भरता कम करना और सप्लाई चेन को सुरक्षित बनाना है.
विडंबना यह है कि भारत खुद rare earths और critical minerals के मामले में एक बड़ा विकल्प बन सकता है, फिर भी उसे बाहर रखना
रणनीति से ज्यादा राजनीति लगती है.

Diplomacy या दबाव की राजनीति?

विशेषज्ञ मानते हैं कि यह फैसला India-US diplomatic relations को कमजोर कर सकता है. एक तरफ Indo-Pacific में साझेदारी की बातें, दूसरी तरफ फैसलों में दूरी— ट्रंप की यह नीति भारत को “strategic partner” से “selective partner” बना रही है.

दोस्ती में भी शर्तें

भारत-अमेरिका रिश्ते अब केवल साझा मंचों से नहीं, बल्कि equal strategic respect से तय होंगे. अगर critical minerals जैसे भविष्य के संसाधनों में भारत को नजरअंदाज किया गया, तो यह भरोसे की नींव को हिला सकता है.

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