
बिहार की राजनीति में सत्ता की कुर्सी भले घूम-घूमकर वापस वही चेहरे ले आए, लेकिन इस बार सरकारी बंगले की कुर्सी घूमकर सीधे लालू परिवार से दूर जा रही है। सत्ता परिवर्तन के कुछ ही दिनों में राबड़ी देवी और तेज प्रताप यादव—दोनों को सरकारी आवास खाली करने का नोटिस मिल गया।
गृह से लेकर भवन निर्माण तक—सब बदल गया… बस लालू परिवार की दिक्कतें नहीं बदलीं, उलटा बढ़ गईं।
राबड़ी देवी का 10 सर्कुलर रोड वाला “ऐतिहासिक” पता बदला
नए नियमों के अनुसार राबड़ी देवी को उनका पुराना सरकारी आवास खाली कर हार्डिंग रोड पर नया आवास अलॉट कर दिया गया है।
राजनीतिक हलकों में सवाल—“इतने साल से मुख्यमंत्री वाला बंगला खाली क्यों नहीं हुआ?”
और विपक्ष का तंज— “CM का घर तो नहीं बदला… लेकिन एक्स-CM का जरूर बदलवा दिया!”
तेज प्रताप का बंगला भी गया! महुआ से हार के बाद गिरी गाज
तेज प्रताप अब विधायक नहीं, और पटना का 26 M स्ट्रैंड रोड वाला बंगला मंत्री लखेन्द्र कुमार रौशन को अलॉट कर दिया गया। यानी चुनाव में हार का साइड इफेक्ट— सीट गई तो सीट के साथ बंगला भी गया।
तेज प्रताप का “ऊर्जा-चक्र-योग” भी इस बार उन्हें बचा न सके।
RJD अध्यक्ष का बयान—“राबड़ी जी बंगला खाली नहीं करेंगी!”
राजद अध्यक्ष मंगनी लाल मंडल का बयान भावुकता + आक्रोश का मिश्रण “कुछ भी हो, बंगला खाली नहीं करेंगे! लालू परिवार को निशाना बनाया जा रहा है।”

उनके अनुसार यह सिर्फ घर खाली करवाना नहीं बल्कि “राजनीतिक अपमान की नीति” है।
RJD का आरोप— “बीजेपी को खुश करने के लिए सरकार बदले का राजनीति खेल रही है।”
20 साल से चली आ रही विवादित बंगला राजनीति
विपक्ष पूछ रहा— “दो-दो चीफ मिनिस्टर एक ही घर में रहते रहे… वो खाली क्यों नहीं हुआ? लालू परिवार का ही बंगला क्यों निशाने पर?”
राजनीति में बंगला सिर्फ घर नहीं होता… सम्मान + प्रभाव + परंपरा + पावर का पता होता है। और अब यही पता बदलना, विवाद का नया पता बन गया है।
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