“AI से दूरी रखो—UPSC में दिमाग चाहिए, डाउनलोड नहीं!

Prabhash Bahadur civil services mentor
Prabhash Bahadur Civil Services Mentor

कभी UPSC की तैयारी को तपस्या, संन्यास और 10 घंटे Self-Study वाली Tapovan Life माना जाता था। अब वही तैयारी AI पर निर्भर होती जा रही है— किसी से पूछिए: “Preparation कैसी चल रही?” जवाब मिलता है: “ChatGPT से notes ले रहा हूँ भाई!”

और ठीक इसी दौर में गूगल की पैरेंट कंपनी अल्फ़ाबेट के सीईओ सुंदर पिचाई दुनिया को फिर याद दिला रहे हैं— “AI पर आंख मूंदकर भरोसा मत करिए!”

AI = तेज़ लेकिन फुलप्रूफ नहीं | UPSC = क्रॉस-वेरीफिकेशन की परीक्षा

पिचाई ने साफ कहा कि AI का इस्तेमाल करते समय “अन्य स्रोतों के साथ बैलेंस बनाकर चलना चाहिए।”

यानि UPSC aspirants के लिए यह सीधा संदेश- AI से Notes मिलेंगे, लेकिन Analysis आपका ही चलेगा।

क्योंकि पिचाई का कहना है— AI मॉडल्स में गलती करने की नैचुरल प्रवृत्ति होती है। (जैसे offline coaching में random guess मारने वाले टॉपिक लाने की प्रवृत्ति होती है।)

“ChatGPT और Bard—Wi-Fi की तरह भरोसा करें”

पिचाई का एक छुपा हुआ लेकिन बेहद relatable मैसेज— “AI का भरोसा Wi-Fi जैसा है… कभी ऑन-टॉप, कभी डाउन।”

यानि, कभी AI ऐसा answer देता है कि आपका confidence 200% हो जाता है। और कभी ऐसा कि लगे—“सर, ये आपने लिखा है या नींद में भेजा है?”

इसलिए AI को Guru नहीं—Study Partner की तरह यूज़ करना ही समझदारी है।

क्यों ज़रूरी है Diversified Info Ecosystem?

पिचाई कहते हैं कि दुनिया को एक ऐसा इकोसिस्टम चाहिए जहां लोग सिर्फ AI पर निर्भर न हों। किताबें, विशेषज्ञ, अख़बार, बहस, क्लासरूम—ये सब AI को बैलेंस करते हैं।

यानि दुनिया AI से चल सकती है, लेकिन दिमाग अभी भी इंसान से ही चलता है।

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