
दुनिया में जब भी किसी देश पर अमेरिका का मूड बिगड़ता है, तो उसका पहला वार होता है — “सैंक्शन!” और इस बार निशाने पर हैं — भारत, चीन, ईरान, हांगकांग, यूएई और तुर्की!
अमेरिका ने कुल 32 कंपनियों और व्यक्तियों पर तगड़ा प्रतिबंध ठोका है, कहते हैं — “भाई लोग, तुम ईरान के मिसाइल और ड्रोन नेटवर्क से जुड़े हो!”
ड्रोन और मिसाइल सप्लाई नेटवर्क का खुलासा
अमेरिकी विदेश विभाग के मुताबिक, इन कंपनियों का काम था — ईरान के “इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC)” के लिए बैलिस्टिक मिसाइल और ड्रोन (UAVs) से जुड़ी तकनीक मुहैया कराना।
अब IRGC को आप साधारण सेना मत समझिए… यह ईरान का “रिवॉल्यूशन गार्ड” है — जो देश की सीमाओं के साथ-साथ उसकी “इस्लामिक पॉलिटिक्स” की भी रखवाली करता है।
UN प्रतिबंधों को मिली अमेरिकी ताक़त
यह कार्रवाई 27 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा ईरान पर फिर से लागू किए गए पुराने प्रतिबंधों के समर्थन में की गई है। दरअसल, 2015 के परमाणु समझौते (JCPOA) के बाद ईरान पर लगे ज्यादातर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध हटा दिए गए थे।
लेकिन इस साल सितंबर 2025 में यूएन ने एक दशक बाद फिर से व्यापक स्तर पर ईरान के खिलाफ आर्थिक और सैन्य सैंक्शन वापस लगा दिए —और अब अमेरिका कह रहा है, “हम हैं साथ!” 🇺🇸
भारत और चीन का नाम आने पर बढ़ी हलचल
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस बार सूची में भारत और चीन के कुछ संस्थान भी शामिल हैं। अमेरिका का आरोप है कि कुछ कंपनियां अप्रत्यक्ष रूप से ईरान के मिसाइल नेटवर्क को तकनीकी और लॉजिस्टिक मदद दे रही थीं।

अब इस पर भारत का रुख देखना दिलचस्प होगा — क्योंकि वॉशिंगटन और नई दिल्ली के बीच टेक और डिफेंस पार्टनरशिप के दौर में
ऐसी खबरें थोड़ी “कूटनीतिक खलल” तो डाल ही देती हैं।
सवाल उठता है — अमेरिका का अगला कदम क्या होगा?
क्या ये प्रतिबंध सिर्फ दिखावे के लिए हैं, या वाकई अमेरिका अब ईरान के “ड्रोन नेटवर्क” पर कड़ा एक्शन लेने जा रहा है?
“यह सिर्फ ईरान नहीं, बल्कि रूस और चीन के लिए भी एक चेतावनी है।” मतलब साफ — ड्रोन बेचो, पर हमें न दिखो!
कह सकते हैं कि दुनिया में “Sanctions” अब नए जमाने के “Missiles” बन चुके हैं। बटन नहीं दबता — बस प्रेस रिलीज़ निकलती है… और डॉलर की हवा टाइट!
