
देश की सड़कों पर “कुत्ता मेरा दोस्त है” कहने वालों के लिए झटका — सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि अब आवारा कुत्ते रेलवे स्टेशन, बस अड्डा, अस्पताल और स्कूल जैसे सार्वजनिक स्थानों पर नहीं दिखेंगे।
अदालत ने सभी नगरपालिकाओं और संबंधित अधिकारियों को साफ निर्देश दिया है — कुत्तों को उठाकर डॉग शेल्टर होम में रखा जाए, और दोबारा “वही गलियां, वही मोहल्ला” वाला सीन नहीं होना चाहिए।
8 हफ्तों में साफ़-सुथरी सड़कें या फिर कोर्ट की फटकार!
कोर्ट ने MCD और स्थानीय निकायों को 8 हफ्तों की डेडलाइन दी है। मतलब — अगर आपने तय किया है कि “यह डॉग्स का एरिया है”, तो अब वो जगह MCD का एरिया बन जाएगी।
साथ ही कोर्ट ने कहा है कि जहां से कुत्ते हटाए जाएं, वहाँ इतनी मजबूत बाड़ लगाई जाए कि वो फिर से वापस न घुस पाएं। (यानी अब “घर वापसी” सिर्फ इंसानों के लिए रहेगी!)
मवेशियों पर भी नजर – हाईवे पर नहीं होंगे ‘गौ-ट्रैफिक जाम’
सिर्फ कुत्तों पर ही नहीं, कोर्ट ने मवेशियों पर भी सख्ती दिखाई है। राजस्थान हाईकोर्ट के पुराने आदेश की पुष्टि करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा—सड़क, राजमार्ग और एक्सप्रेसवे पर जो भी आवारा गाय-भैंस घूम रहे हैं, उन्हें भी आश्रय गृह में शिफ्ट किया जाए।
PWD, नगरपालिका और परिवहन विभाग को जिम्मेदारी दी गई है — अब हाईवे पर “मूविंग काउ क्रॉसिंग” का सीन खत्म होगा।
हेल्पलाइन, गश्ती दल और रिपोर्टिंग सिस्टम — कोर्ट का 360° प्लान!
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हर राज्य में एक हेल्पलाइन नंबर और गश्ती दल (Patrolling Team) बनाया जाए, जो आवारा जानवरों की स्थिति पर नज़र रखे। हर घटना, हर मूवमेंट और हर शेल्टर की स्थिति की रिपोर्ट सीधे संबंधित अधिकारी तक पहुंचे। अब कोई यह नहीं कह पाएगा —“कुत्ता अचानक आ गया था, साब!”

पशु प्रेम भी, पब्लिक सेफ्टी भी – दोनों का बैलेंस जरूरी
कोर्ट ने यह भी साफ किया कि यह फैसला जानवरों के खिलाफ नहीं है। बल्कि यह कदम जनता और जानवर दोनों के हित में है। कुत्तों की भलाई के साथ-साथ पब्लिक की सुरक्षा भी उतनी ही जरूरी है। यानी — अब “कुत्ते का जन्म, सड़क पर घूमना और फिर केस होना” वाला ड्रामा खत्म।
कभी “कुत्ता हमारा दोस्त” का नारा देने वाला समाज, अब “कुत्ता हमारा कोर्ट केस” वाला बन गया है।
पर मानना पड़ेगा —जहाँ लोग ट्रैफिक नियम नहीं मानते, वहाँ कोर्ट कुत्तों तक को “सीमित एरिया” दे रहा है!
यह आदेश साफ कर गया कि भारत अब “सड़क से शेल्टर” मोड में जा रहा है। आवारा कुत्तों और मवेशियों की सुरक्षा के साथ जनता की राहत— दोनों का ध्यान रखा जाएगा। अब देखना है, 8 हफ्तों में सड़कों पर भौंकने से ज्यादा काम की आवाज़ें सुनाई देंगी या नहीं।
शाह बोले – “लालू-राबड़ी का बेटा सीएम नहीं बनेगा, सोनिया का पीएम नहीं!”
