
बिहार की सियासत में एक और बड़ा ट्विस्ट! मोकामा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे बाहुबली नेता अनंत सिंह को
पटना की एमपी-एमएलए कोर्ट ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। अब उनका नया ठिकाना — बेऊर जेल।
सियासी टाइमिंग भी फिल्मी है — चुनाव का पहला चरण सिर पर और एनडीए का “मोकामा मास्टरस्ट्रोक” अब जेल में!
दुलारचंद यादव हत्याकांड: बिहार की पॉलिटिक्स में ‘मर्डर मिस्ट्री’
मोकामा में 30 अक्टूबर को जन सुराज पार्टी उम्मीदवार पीयूष प्रियदर्शी की रैली के दौरान दुलारचंद यादव की हत्या ने सबको चौंका दिया था।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने पुष्टि की — “मौत प्राकृतिक नहीं, राजनीतिक थी।”
पुलिस ने अनंत सिंह के साथ दो साथियों — मणिकांत ठाकुर और रणजीत राम — को भी गिरफ्तार किया है। जांच में मिले पत्थर और क्षतिग्रस्त वाहन बताते हैं कि ये कोई सड़क झगड़ा नहीं, स्क्रिप्टेड अटैक था।
गिरफ्तारी और पेशी: सस्पेंस मोड ऑन
पुलिस ने देर रात “ऑपरेशन मोकामा” चलाया और अनंत सिंह को अरेस्ट कर कड़ी सुरक्षा में कोर्ट में पेश किया। पुलिस ने रिमांड मांगी थी, लेकिन कोर्ट ने कहा — “पहले जेल, फिर सवाल।”
अब 14 दिन तक बेऊर की हवा और राजनीति दोनों अनंत सिंह के इर्द-गिर्द घूमेंगी।
एनडीए में हलचल, विपक्ष में खुशी — ‘राजनीति का बैलेंस बिगड़ा’
अनंत सिंह जेडीयू के टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे, और उनकी गिरफ्तारी ने एनडीए कैंप में टेंशन बढ़ा दी है। वहीं, महागठबंधन इस पर तंज कस रहा है — “सुशासन की सरकार में बाहुबली भी सलाखों के अंदर हैं, तो जनता बाहर क्यों माने?”

चुनाव आयोग का एक्शन: जीरो टॉलरेंस मोड ऑन
दुलारचंद यादव हत्याकांड के बाद CEC ने तत्काल एक्शन लेते हुए मोकामा के कई प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया। मतलब साफ़ — “चुनावी हिंसा पर अब माफ़ी नहीं, सिर्फ़ फाइलिंग!”
मोकामा में समीकरण उलट-पलट — ‘एक गिरफ्तारी, सौ अनुमान’
अनंत सिंह की गिरफ्तारी के बाद अब मोकामा सीट पर समीकरण बदल गए हैं। जेडीयू के वोट बैंक पर असर पड़ना तय है, और विपक्ष इसे “एनडीए का डैमेज मोमेंट” बता रहा है। पुलिस की अगली चाल होगी — रिमांड के बाद नए नाम और नए सबूत, क्योंकि बिहार में हर मर्डर, एक मैनिफेस्टो से जुड़ा होता है!
बिहार की राजनीति में कोर्टरूम भी अब चुनावी मंच बन चुका है
मोकामा की कहानी में ‘कट्टा’, ‘कुर्सी’, ‘कोर्ट’ और ‘क्लेम’ — सब एक साथ चल रहे हैं। एक तरफ अनंत सिंह की गिरफ्तारी, दूसरी तरफ राजनीतिक पार्टियों की “मोकामा मिशन स्पीच”।
बिहार की राजनीति फिर वही कह रही है — “यहाँ हर नेता की फाइल, एक कहानी बन जाती है!”
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