ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों पर हमला… और मंत्री जी ने दे दिया टिप्स टू सर्वाइव

सत्येन्द्र सिंह ठाकुर
सत्येन्द्र सिंह ठाकुर

मध्य प्रदेश के इंदौर में दो ऑस्ट्रेलियाई महिला क्रिकेटरों के साथ यौन हिंसा का मामला सामने आया था। लेकिन इस दर्दनाक घटना पर बीजेपी के वरिष्ठ नेता और मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने ऐसा बयान दे दिया कि सोशल मीडिया पर बवाल मच गया।
उन्होंने कहा — “थोड़ी बहुत लापरवाही हुई है… खिलाड़ियों ने बिना बताए बाहर चली गईं।”

अब सवाल ये कि क्या सड़क पर अपराध का कारण अब पीड़िता की “लोकेशन अपडेट न देना” हो गया है?

कैलाश विजयवर्गीय का बयान: ‘थोड़ी सी उनसे गलती हो गई’

एनडीटीवी से बातचीत में कैलाश विजयवर्गीय बोले — “खिलाड़ियों का अचानक वहां से निकल जाना, बिना किसी को बताए ये थोड़ी सी उनसे ग़लती हो गई है। क्योंकि वहां उनकी पर्सनल और पुलिस सिक्योरिटी भी थी।”

उन्होंने आगे कहा कि खिलाड़ियों ने अपने कोच को भी नहीं बताया और बातचीत करते-करते बाहर निकल गईं। यानि, मंत्री जी के हिसाब से अगर आप बात करते हुए बाहर निकल जाएं और अपराध हो जाए — तो क़सूरवार आप ही हैं!

कांग्रेस का पलटवार: ‘सोच ही असली अपराध है’

कांग्रेस नेता अरुण सुभाषचंद्र यादव ने इस बयान को लेकर कहा — “मुझे आश्चर्य है कि बीजेपी का एक वरिष्ठ मंत्री इस तरह की बात कह रहा है। इससे सरकार और पार्टी की मानसिकता साफ़ झलकती है।”

उन्होंने मंत्री को सीधे ज़िम्मेदार ठहराते हुए कहा, “आपकी सरकार है, आपकी पुलिस है — और फिर भी आप पीड़िताओं को ही कटघरे में खड़ा कर रहे हैं?”

क्या है पूरा मामला?

क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने शनिवार को बताया कि भारत दौरे पर आईं दो महिला खिलाड़ियों के साथ “अनुचित बर्ताव” और “गलत तरीके से छूने” की घटना हुई। इंदौर पुलिस ने ऑस्ट्रेलियाई टीम के सुरक्षा अधिकारी डैनी सिमंस की शिकायत पर अकील अहमद नामक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है।

घटना गुरुवार सुबह 11 बजे की बताई जा रही है, जब खिलाड़ी रैडिसन ब्लू होटल से 500 मीटर दूर एक कैफ़े जा रही थीं।

‘लापरवाही’ या ‘लापरवाह सोच’?

देश में हर बार जब महिलाओं पर हमला होता है, कुछ नेता “सलाह” देने निकल पड़ते हैं — “बाहर मत जाओ”, “कपड़े ऐसे मत पहनो”, “रात में मत निकलो”, अब नया जोड़ा गया है — “बिना बताए मत निकलो।”

शायद अगली बार अपराधी से पहले GPS लोकेशन पुलिस को भेजनी होगी, तभी “सुरक्षित” माना जाएगा।

घटना शर्मनाक, बयान और भी घातक

जहाँ सरकार को जवाबदेही दिखानी थी, वहाँ अब पीड़िता की गलती गिनाई जा रही है। सवाल ये नहीं कि खिलाड़ियों ने बताया या नहीं — सवाल ये है कि एक सुरक्षित शहर में ऐसी घटना क्यों हुई? लेकिन शायद हमारे नेताओं के लिए “सुरक्षा” का मतलब सिर्फ़ लॉजिकल ट्विस्ट वाला बयान रह गया है।

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